उत्तराखंडराजनीति

पूर्व सीएम हरीश रावत ने थामी बेटे वीरेंद्र रावत के प्रचार रथ की लगाम I

कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत भले ही इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र रावत का चुनाव उनकी नाक का सवाल भी बना हुआ है। चुनावी समर में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सामने एक दुविधा भी है। बेटा वीरेंद्र पहली बार चुनावी कुरुक्षेत्र में उतरा है, इसलिए उसे वह अकेला ही नहीं छोड़ सकते। बेटे वीरेंद्र रावत के प्रचार रथ की लगाम खुद हरीश रावत ने अपने हाथों में ही थाम रखी है, मगर चिंता सालों पुराने दोस्त प्रदीप टम्टा की चुनावी वैतरणी पार लगाने की भी है। प्रदीप टम्टा भी आस लगाए हुए हैं कि हरीश रावत अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र में उनके प्रचार में भी उतरे, तो कांग्रेस के पक्ष में कुछ और माहौल भी बनें। ऐसे में हरीश रावत के सामने एक तरफ बेटा है, तो वही दूसरी तरफ वर्षों की पुरानी दोस्ती। अल्मोड़ा सीट चुनावी रैली के लिए स्टार प्रचारक के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की मांग है। फिलहाल तो वे हरिद्वार लोकसभा में ही बेटे वीरेंद्र रावत के प्रचार में ही फंसे हैं। अभी तक हरीश रावत किसी अन्य लोकसभा सीटों पर चुनावी रैली या रोड शो के लिए भी नहीं निकल पाए। आरक्षित अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा भी चुनाव मैदान में है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से उनकी काफी पुरानी दोस्ती भी है। एक समय था जब अल्मोड़ा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का वर्चस्व था। वर्ष 1980 में इस सीट पर उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव जीत कर संसद में कदम भी रखा। उस समय अल्मोड़ा सीट अनारक्षित भी थी। इसके बाद यहां से 3 बार चुनाव जीत कर सांसद भी चुने गए। वर्ष 1980 और 1984 के चुनाव में बीजेपी के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी को पराजित भी किया। यही वजह है कि अल्मोड़ा सीट पर चुनाव प्रचार के लिए हरीश रावत की मांग है। उन पर बड़ी जिम्मेदारी हरिद्वार लोकसभा सीट से बेटे वीरेंद्र रावत के प्रचार की भी है। हरीश रावत के अडिग रहने पर कांग्रेस हाईकमान ने बेटे वीरेंद्र रावत को टिकट देकर चुनाव मैदान में भी उतारा। टिकट की घोषणा के बाद से हरीश रावत ने हरिद्वार सीट पर प्रचार में मोर्चा भी संभाल रखा है। सुबह से शाम तक चुनावी रैली व जनसंपर्क में भी लगे हुए हैं। हरिद्वार लोकसभा सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव ने हरीश रावत को सुखद और दुखद दोनों का साहस कराया है। वर्ष 2009 में इसी सीट पर चुनाव भी जीते, लेकिन वर्ष 2014 के चुनाव में इस सीट पर पत्नी रेणुका रावत को शिकस्त मिली। इस बार बेटा चुनाव मैदान में होने से हरिद्वार लोकसभा चुनाव हरीश रावत की साख भी दांव पर है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Doon Darshan