मैंने कोई चोरी या डकैती नहीं डाली जो प्रवर्तन निदेशालय ने इस तरह से मेरे घर पर छापा मारा। मैं घर पर सो ही रहा था, अचानक ईडी के लोग आ गए, मेरा मोबाइल ले लिया और पूरे घर की तलाशी भी ली। ईडी को कुछ फाइलों और साढ़े तीन लाख रुपये के अलावा कुछ नहीं मिला। दो जनरेटरों के लिए यह सब कार्रवाई हुई है। इसके लिए एक नोटिस दे दिया गया होता तो इसे वह खुद ही लौटा देते। पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा, कोविडकाल के दौरान कालागढ़ डिविजन से दो जनरेटर मिले थे। छिद्दरवाला में कार्यालय बनाया था, इसलिए जनरेटर वहां रख दिया गया था। मंत्री पद से हटने के बाद मेरे निजी सचिव ने डीएफओ को लिखा था कि सरकारी संपत्ति को वापस ले ली जाए। विभाग की जिम्मेदारी थी कि वापस ले जाते, इसके लिए छापा मारने की क्या जरूरत थी। पाखरों टाइगर सफारी और ढेला रेस्क्यू सेंटर पीएम का प्रोजेक्ट था। 106 हेक्टेयर में पाखरों टाइगर सफारी के लिए केंद्र सरकार की अनुमति के बाद ही इसमें काम शुरू हुआ। इसमें 16 हेक्टेयर नॉन फॉरेस्ट के लिए मंजूर भी हुआ। इस पूरे प्रकरण में मेरी यदि कोई भूमिका है तो वह यह है कि मैंने प्रोजेक्ट की शीघ्र मंजूरी के लिए केंद्र सरकार से सिर्फ अनुरोध किया था। कहा, ईडी उनके घर से मेडिकल कॉलेज और उनकी बहू के एनजीओ के दस्तावेज भी ले गई। ईडी को मेरे घर से सिर्फ साढ़े तीन लाख रुपये मिले, जिसे यह कहते हुए ईडी ने लौटा दिया कि इतनी धनराशि रखी जा सकती है। ईडी को कोई ज्वैलरी नहीं मिली। पूर्व वन मंत्री ने कहा, उन्होंने कॉलेज की जमीन साल 2003 में ही खरीदी थी। साल 2011 में जब निशंक मुख्यमंत्री थे इसकी जांच भी हुई। इसके बाद 2016 में इसकी जांच फिर की गई। इसके खिलाफ जो चार्जशीट दाखिल हुई थी उसे हाईकोर्ट ने खारिज भी कर दिया था।
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