“11 साल सुशासन नहीं, सत्ता का केंद्रीकरण”: मोदी सरकार पर गरिमा दसौनी का तीखा प्रहार
उत्तराखंड कांग्रेस ने केंद्र के 11 वर्षीय कार्यकाल को बताया ‘कुशासन का काला अध्याय’
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देहरादून – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्षों के कार्यकाल को भारतीय जनता पार्टी जहां “सेवा, सुशासन व गरीब कल्याण” के रूप में मना रही है, वहीं उत्तराखंड कांग्रेस ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने भाजपा के इस उत्सव को “हास्यास्पद” करार देते हुए मोदी सरकार के 11 वर्षों को “जनता के साथ छल, लोकतंत्र पर प्रहार व निजी हितों के विस्तार” की संज्ञा दी।
“मोदी युग में लोकतंत्र और संस्थाओं पर हमला” : उत्तराखंड कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी
गरिमा दसौनी ने कहा कि 2014 में ‘अच्छे दिन’ का सपना दिखाकर सत्ता में आई भाजपा सरकार ने बीते एक दशक में देश के लोकतंत्र को कमजोर करने, संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग व विपक्ष को दबाने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल करने का काम भी किया है।
उन्होंने कहा, “सीबीआई और ईडी जैसी संस्थाएं केंद्र के लिए विपक्ष को डराने के औज़ार भी बन गई हैं। यह लोकतंत्र नहीं, सत्ता का दुरुपयोग भी है।”
“आर्थिक तबाही और रोजगार संकट” : दसौनी
नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों पर निशाना साधते हुए दसौनी ने कहा कि इन कदमों से लाखों छोटे व्यापार खत्म ही हो गए और बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां सामाजिक व आर्थिक असमानता को बढ़ावा देने वाली ही रही हैं।
“सामाजिक ताने-बाने को पहुंचा नुकसान” : दसौनी
दसौनी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के दौर में देश में धार्मिक ध्रुवीकरण बढ़ा और अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े, जिन्हें सरकार की “मौन सहमति” प्राप्त थी। उन्होंने इसे सामाजिक सौहार्द पर सीधा ही हमला बताया।
“कोविड कुप्रबंधन और किसानों की अनदेखी” : दसौनी
प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि दूसरी लहर में हजारों जानें गईं, लेकिन सरकार ने ज़िम्मेदारी लेने के बजाय प्रचार को तरजीह दी। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों ने किसानों को आंदोलित किया, लेकिन सरकार तब तक नहीं चेती जब तक 700 किसानों की जानें ही नहीं चली गईं।
“राष्ट्रीय सुरक्षा पर चुप्पी, चीन के मसले पर नरमी” : दसौनी
दसौनी ने लद्दाख में चीन की घुसपैठ को लेकर सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और कहा कि यह देश की सुरक्षा व संप्रभुता के साथ समझौता है।
“जनता अब बदलाव चाहती है” : दसौनी
प्रवक्ता ने कहा कि देश अब उत्तरदायी और लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखने वाली सरकार चाहता है। उन्होंने कहा, “11 सालों की समीक्षा से साफ है कि यह दौर सुशासन नहीं, बल्कि सुनियोजित कुशासन और सत्ता के केंद्रीकरण का ही रहा है।”




