दीपक अग्रवाल की चोरी का केस: 25 दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली, 15 लाख रुपये का खर्च
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हल्द्वानी शहर की नामी बुकसेलर फर्म पूरन एंड संस के मालिक दीपक अग्रवाल के यहां हुई चोरी के मामले में अब 25 दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। पुलिस के 10 पुलिसकर्मी लगातार चोर नौकरानी रम्बा व उसके साथियों को ढूंढ रहे हैं। इस घटना के खुलासे में पुलिसकर्मियों के इतने दिन का वेतन जोड़ा जाए तो वह करीब 10 लाख रुपये तक बैठता है। आधिकारिक तौर पर 5 लाख और खर्च हो चुके हैं।
दीपक अग्रवाल के यहां चोरी की वारदात 26 नवंबर की रात हुई थी। लाखों का माल इस घटना में गया था और यह घटना ऑनलाइन तलाश से 4-5 दिन पहले ही रखी गई नौकरानी रम्बा ने की। नशीला पदार्थ मिला सूप दीपक व उनकी पत्नी को पिलाकर उन्हें बेहोश कर रम्बा ने अपने साथियों की मदद से घटना को अंजाम भी दिया था। छानबीन में सामने आया कि रम्बा को जिस एजेंसी के माध्यम से ढूंढा गया, वह एजेंसी दिल्ली में है। दूसरा उसके आधार कार्ड में बंगलूरू का पता लिखा मिला था।
इस बड़ी चोरी के खुलासे में 5 लोगों की टीम तीन बार दिल्ली गई और वहां रूकी। दो लोगों की टीम एक दिन बंगलुरू गई और वहां पर रूकी। तीन लोगों की टीम बहराइच भी गई। 22 दिन से 10 पुलिस कर्मियों की टीम नेपाल व आसपास के बार्डर पर डेरा डाले हुए है। उधर नेपाल पुलिस व वहां की एसओजी भी रम्बा को ढूंढने में भारतीय पुलिस की आर्थिक मदद भी कर रही है। हालांकि रम्बा या उसका कोई साथी अभी पकड़ में नहीं आ सका है।
एक दरोगा का प्रतिदिन का औसत वेतन 3500 रुपये व एक पुलिस कर्मी का 3000 रुपये बैठता है। इस हिसाब से इतने दिनों का इन पुलिसकर्मियों का वेतन करीब 10 लाख रुपये भी बना। एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने आने-जाने में होने वाले खर्च के लिए पुलिस फंड से 2 लाख रुपये दिए। वाहन आदि के अन्य सरकारी खर्चे करीब 3 लाख रुपये के हो चुके हैं। इस हिसाब से यह खर्च 15 लाख रुपये से अधिक ही हो चुका है। टीम अभी काम कर रही है। जब टीम वापस आएगी, तब तक खर्च और भी बढ़ जाएगा। 2 लाख फंड से देने की बात एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने स्वीकार भी की।



