महिला दिवस: प्रदेश के वन और वन्यजीवों की सुरक्षा में 958 बेटियों की अहम भूमिका
उत्तराखंड में महिला वन कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका, 70% से अधिक वन क्षेत्र की सुरक्षा में निभा रही हैं अहम जिम्मेदारी

देहरादून। उत्तराखंड में 70 प्रतिशत से अधिक भू-भाग वन क्षेत्र में है, और यहां की जैव विविधता की सुरक्षा और संवर्द्धन का महत्वपूर्ण कार्य वन विभाग में कार्यरत सैकड़ों बेटियां निभा रही हैं। वन महकमे में कुल 958 महिला कर्मी विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं, जो इस जिम्मेदारी को पूरी कुशलता से निभा भी रही हैं।
इन महिला वन कर्मियों में से कई को खासकर दुर्गम इलाकों में कार्यरत होने के कारण 26 जनवरी को आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मानित भी किया गया था, जिसमें तराई पूर्वी वन प्रभाग के किलपुरा जैसे कठिन इलाकों में कार्यरत बेटियां भी शामिल थीं।
वन विभाग में कार्यरत महिला कर्मियों की जिम्मेदारी
वन भूमि पर अवैध कब्जा, शिकार, अवैध पातन, और अवैध खनन जैसी गतिविधियों को रोकने की जिम्मेदारी वन कर्मियों की होती है। इसके अतिरिक्त, प्लांटेशन, वनों की आग से बचाव व हरियाली बढ़ाने का कार्य भी इनकी जिम्मेदारी में आता है। इन सभी दायित्वों को महिला वन कर्मी बेहतरीन तरीके से निभा रही हैं और उनकी मेहनत व प्रतिबद्धता को क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा रहा है।
विभिन्न पदों पर तैनात हैं महिला कर्मी
उत्तराखंड वन विभाग में महिला कर्मियों की तैनाती प्रमुख वन संरक्षक से लेकर वन आरक्षी तक विभिन्न पदों पर भी की गई है। इनमें 10 भारतीय वन सेवा (IFS), 27 प्रांतीय वन सेवा (PFS), 38 रेंजर, 6 डिप्टी रेंजर, 224 वन दरोगा व 653 वन आरक्षी कार्यरत हैं।
अपर प्रमुख वन संरक्षक मीनाक्षी जोशी का बयान
अपर प्रमुख वन संरक्षक मीनाक्षी जोशी ने कहा, “वन विभाग में कार्य करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण भी होता है, और इस चुनौती को महिलाएं बखूबी निभा रही हैं। वे कठिन और दुर्गम स्थानों पर अपनी ड्यूटी निभा रही हैं और हर स्तर पर अपना योगदान भी दे रही हैं।”
वन विभाग में कार्यरत महिला कर्मियों की यह मेहनत और लगन न केवल उत्तराखंड की जैव विविधता की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रही है, बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत भी बन रही है।