उत्तराखंड स्थापना की रजत जयंती पर पूर्व सैनिकों को बड़ा तोहफा: सीएम धामी ने की कई घोषणाएं
हल्द्वानी — उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर हल्द्वानी के एमबी इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित पूर्व सैनिक सम्मेलन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सैनिकों व उनके परिवारों के लिए कई बड़ी घोषणाएं भी कीं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सैनिक राज्य की शान हैं, और सरकार उनके सम्मान व कल्याण के लिए लगातार कार्य भी कर रही है।
मुख्यमंत्री ने राज्य सैनिक कल्याण बोर्ड के पुनर्गठन की घोषणा करते हुए बताया कि हल्द्वानी, अल्मोड़ा व पौड़ी में नए सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालयों का निर्माण भी किया जाएगा। इसके साथ ही, पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष तक की छूट भी दी जाएगी — जो पहले 2 वर्ष थी।
उन्होंने कहा कि शहीद सैनिकों के परिजनों को सरकारी नौकरी, निशक्त पूर्व सैनिकों व विधवाओं को 2 लाख रुपये की आवासीय सहायता, और 25 लाख रुपये तक की संपत्ति पर 25% स्टांप ड्यूटी छूट भी दी जाएगी।
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि वीरता पुरस्कारों की राशि में भी बड़ा इजाफा किया गया है —
- परमवीर चक्र विजेता को अब 1.5 करोड़ रुपये
- शौर्य चक्र विजेता को 25 लाख रुपये (पहले 15 लाख)
- सेना मेडल विजेता को 15 लाख रुपये (पहले 7 लाख)
- मेंशन पुरस्कार विजेता को 10 लाख रुपये (पहले 3.5 लाख) दिए जाएंगे।
इसके अलावा, हल्द्वानी में पूर्व सैनिकों के बच्चों के लिए 150 क्षमता का छात्रावास भी बनाया जाएगा व उपनल में 50% भर्ती पूर्व सैनिकों से होगी।
सीएम धामी ने कहा, “सैनिक कभी पूर्व नहीं होता — वह आजीवन देश का रक्षक ही रहता है। राज्य आंदोलन से लेकर सीमाओं की सुरक्षा तक, सैनिकों व वीर नारियों का योगदान अविस्मरणीय है।”
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड न केवल देवभूमि है, बल्कि वीरभूमि भी है — जहां बलिदान गौरव का प्रतीक भी माना जाता है।
धामी ने अपने भाषण में केंद्र सरकार की रक्षा नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि अब भारत रक्षा सामग्री का आयातक नहीं, बल्कि निर्यातक देश भी बन चुका है।
कार्यक्रम के दौरान सीएम ने वीर नारियों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया, बेटियों के छोलिया नृत्य व सेना बैंड की देशभक्ति धुनों से मैदान गूंज उठा। कार्यक्रम में पूर्व सैनिकों ने भी अपने अनुभव साझा किए और कहा कि ऐसे आयोजन सैनिकों का मनोबल बढ़ाते हैं और नई पीढ़ी को देशसेवा का संदेश भी देते हैं।




