उत्तरकाशी के पावली गांव में संदिग्ध रैबीज से गाय की मौत, दूध पीने वाले 22 ग्रामीणों को लगाया गया एंटी रेबीज टीका

उत्तरकाशी : उत्तरकाशी जिले के बंगाण क्षेत्र स्थित पावली गांव में संदिग्ध रूप से रैबीज (Rabies) से ग्रसित एक गाय की मौत से हड़कंप मच गया। ग्रामीणों के अनुसार, लावारिस कुत्ते के काटने के दो दिन बाद यह गाय मर गई। हैरानी की बात यह रही कि इस गाय का दूध गांव के 22 लोगों ने सेवन किया था। घटना के बाद सभी घबराए ग्रामीण त्यूणी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां चिकित्सकों द्वारा सभी को एंटी रेबीज वैक्सीन (Anti-Rabies Vaccine – ARV) की पहली डोज दी गई।
संदिग्ध संक्रमण की आशंका से मचा हड़कंप
पावली गांव के ग्रामीणों ने जानकारी दी कि तीन दिन पहले एक लावारिस कुत्ते ने गांव की एक दूध देने वाली गाय को काट लिया था। कुत्ते के काटने के लगभग 48 घंटे बाद, गाय की अचानक मौत हो गई। ग्रामीणों के अनुसार, मौत से पहले गाय के मुंह से झाग निकल रहा था और उसका शरीर अकड़ गया था, जो रेबीज के लक्षण माने जाते हैं।
ग्रामीणों की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि इस गाय के दूध का सेवन पहले ही 22 ग्रामीणों ने कर लिया था, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
स्वास्थ्य केंद्र में दी गई तुरंत चिकित्सा सहायता
सभी ग्रामीण बुधवार को त्यूणी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नरेंद्र सिंह राणा को स्थिति से अवगत कराया। डॉ. राणा ने बताया:
“गाय के दूध का सेवन करने वाले सभी 22 ग्रामीणों को एंटी रेबीज वैक्सीन की पहली डोज दी गई है। साथ ही उन्हें वैक्सीन का पूरा कोर्स पूरा करने की सलाह दी गई है।”
उन्होंने यह भी कहा कि बृहस्पतिवार को फॉलोअप के दौरान सभी ग्रामीणों की स्वास्थ्य स्थिति सामान्य पाई गई है।
लापता है कुत्ता, रैबीज की पुष्टि नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि घटना के बाद गाय को काटने वाला कुत्ता लापता हो गया है। उन्होंने उसकी तलाश की, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कुत्ते को रैबीज था या नहीं, लेकिन वह कहीं नहीं मिला। कुत्ते की अनुपस्थिति के कारण स्थिति और भी संदिग्ध बन गई है, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
डॉ. राणा ने बताया कि त्यूणी और आसपास के क्षेत्र में इस तरह का यह पहला मामला है, जिसमें गाय की मौत के बाद उसके दूध का सेवन करने वालों को रेबीज का खतरा मानते हुए टीका लगाया गया है।
रेबीज एक वायरल संक्रमण है, जो आमतौर पर कुत्ते, बिल्ली या अन्य जानवरों के काटने से फैलता है। यदि कोई जानवर रेबीज से संक्रमित हो और उसका दूध बिना उबाल कर पिया जाए, तो वायरस शरीर में प्रवेश कर सकता है, हालांकि ऐसे मामलों की संभावना कम होती है। लेकिन एहतियात के तौर पर वैक्सीन देना जरूरी होता है, खासकर जब संक्रमण की पुष्टि न हो सके।
चिकित्सकों का कहना है कि यदि किसी जानवर को किसी संभावित संक्रमित जानवर ने काटा हो, तो उसके दूध, मांस या संपर्क से दूर रहना चाहिए। पशुपालकों को सलाह दी गई है कि दूध उबालकर ही सेवन करें और किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न करें।
घटना के बाद ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि क्षेत्र में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण लगाया जाए और सभी पशुओं को समय-समय पर टीका लगाया जाए। साथ ही, ऐसे मामलों में त्वरित जांच और उचित दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। पावली गांव की यह घटना बताती है कि पशु और मानव स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है और सावधानी ही सुरक्षा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा तत्परता दिखाते हुए बड़ी अनहोनी टाल दी गई, लेकिन यह एक सख्त चेतावनी भी है कि ग्रामीण इलाकों में पशु चिकित्सा, टीकाकरण और जागरूकता अभियान को और भी मजबूत करने की आवश्यकता है।




