नवरात्रों में मां धारी देवी मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब, भक्तों ने किया शक्ति स्वरूपा का पूजन
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श्रीनगर गढ़वाल : अलकनंदा नदी के तट पर स्थित प्राचीन शक्तिपीठ मां धारी देवी मंदिर में इन दिनों शारदीय नवरात्रों की पूजा-अर्चना पूरे उल्लास व भक्ति भाव से की जा रही है। श्रद्धा, संस्कृति व अध्यात्म का यह अद्भुत संगम हर दिन मंदिर परिसर को दिव्य और भक्तिमय भी बना रहा है।
सुबह से लगी श्रद्धालुओं की कतारें, गूंजे जयकारे
नवरात्रों के इस पावन अवसर पर मंदिर प्रांगण में भोर से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें भी लग रही हैं। देशभर से आए भक्त मां के दर्शन को आतुर भी दिखाई दे रहे हैं। मंदिर की घाटी भजन-कीर्तन व मां धारी देवी के जयकारों से भी गूंज उठी है, जिससे पूरे क्षेत्र में एक खास आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव भी किया जा रहा है।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं
मंदिर समिति ने नवरात्रों के लिए श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए स्वच्छता, सुरक्षा, पेयजल व रोशनी की समुचित व्यवस्था की है। इसके साथ ही प्रशासनिक तंत्र व स्थानीय स्वयंसेवक भी भीड़ नियंत्रण और सेवा में सक्रिय रूप से भी जुटे हैं।
धारी देवी मंदिर: आस्था व चमत्कार का प्रतीक
3 स्वरूपों में दर्शन देती हैं मां धारी देवी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां धारी देवी उत्तराखंड की रक्षक देवी के रूप में पूजित भी हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि मंदिर में स्थापित देवी की प्रतिमा दिन में 3 अलग-अलग स्वरूप में प्रकट होती है—सुबह बालिका, दोपहर में युवती और रात्रि में वृद्धा के रूप में। यह दिव्य स्वरूप परिवर्तन भक्तों के लिए कोई चमत्कार से कम नहीं।
विशेष अनुष्ठानों से दूर होते हैं संकट
मंदिर के पुजारी लक्ष्मी प्रसाद पांडे के अनुसार, शारदीय नवरात्रों के दौरान मां की विशेष पूजा करने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन भी होता है। 9 दिनों तक मां के 9 रूपों की आराधना, व्रत, भजन-कीर्तन व सामूहिक हवन-पूजन श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धापूर्वक किया जा रहा है।
नवरात्र मेला: संस्कृति व श्रद्धा का संगम
पारंपरिक झांकियों और गीतों से सजी घाटी
मंदिर परिसर में इन दिनों मेले जैसा माहौल भी है। ग्रामीण क्षेत्रों से आए श्रद्धालु न केवल पूजा में ही हिस्सा ले रहे हैं, बल्कि स्थानीय लोक-संस्कृति व परंपराओं से भी जुड़ाव महसूस कर रहे हैं। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में भजन प्रस्तुतियां व झांकियां कर रही हैं, जिससे नवरात्र का उत्सव और भी मनोहारी ही बन गया है।
देशभर से उमड़ी आस्था, मनोकामना पूर्ति की कामना
देश के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालु मानते हैं कि मां धारी देवी का आशीर्वाद उन्हें जीवन की दिशा और संबल भी देता है। कई भक्त विशेष पूजन और अनुष्ठान कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना भी कर रहे हैं। अलकनंदा की कल-कल बहती धारा और आसपास की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच स्थित यह मंदिर, भक्तों को प्रकृति और परम शक्ति के अद्वितीय मिलन का अनुभव भी करा रहा है।




