देहरादून। भाजपा ने दिल्ली से आए कांग्रेस नेताओं की बयानबाजियों पर जोरदार पलटवार करते हुए कहा, जो अपनी सरकारों में दलितों और पिछड़े का आरक्षण मुस्लिमों को देते हैं, वही अब बाबा साहब के नाम पर झूठ फैला रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, ये वही पार्टी है जो अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक को लाभ देने के लिए ही आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से अधिक करना चाहते हैं। वहीं स्थानीय कांग्रेसियों को भी स्पष्ट करने की चुनौती दी कि क्या वह इसके पक्षधर हैं?
उन्होंने ऐसी बयानबाजियों पर अफसोस जताते हुए, कांग्रेस नेताओं को झूठ बोलने की मशीन करार दिया है। आज उनका हर छोटे से छोटा नेता, अंबेडकर जी को लेकर बड़ी से बड़ी बातें कर रहे हैं। लेकिन उनके स्थाई आलाकमान नेहरू परिवार का इतिहास तो बाबा साहब के अपमान से स्याह है। सभी जानते हैं, नेहरू ने अंबेडकर के संविधान निर्माण की प्रारूप समिति में होने का विरोध किया, उनके चुनाव में विरोधी प्रचार किया, दो बार उन्हें हरवाया और उनकी हार पर सार्वजनिक खुशी प्रकट की, उनका अंतिम संस्कार तक के लिए दिल्ली में जमीन नहीं दी, उन्हें कभी भारत रत्न लायक नहीं माना और उनके जीवन से जुड़े स्थलों को नजरअंदाज कर उनकी पहचान मिटाने का पाप किया।
कांग्रेस पार्टी ने बाबा साहब द्वारा पिछड़ों और वंचितों को दिए आरक्षण के संवैधानिक अधिकार को कभी नहीं स्वीकारा। पहले काका कालेलकर और फिर मंडल कमीशन की रिपोर्ट को दबाए रखा। बाबा साहब, वक्फ बोर्ड, मुस्लिम पर्सनल कानून जैसी अल्पसंख्यक तुष्टिकरण नीति के हमेशा विरोधी रहे है, जिसका खामियाजा उन्हें जीते जी कांग्रेस से भुगतना पड़ा।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस आज भी बाबा साहब के दिए आरक्षण का अधिकार अल्पसंख्यकों में बांट रहे हैं। आज भी देश के इंडी गठबंधन शासित राज्यों में पिछड़ों का अधिकार मुस्लिम समाज को दिया गया है। वहीं कांग्रेस पार्टी पिछले 3 दशक में 5 बार मुस्लिमों को आरक्षण देने का असफल प्रयास कर चुकी है। कांग्रेस और उनके सहयोगी, आरक्षण की अधिकतम तय सीमा को 50 फीसदी से आगे बढ़ाने के जिस वादे को करते हैं, उसके पीछे का मकसद, सिर्फ और सिर्फ धर्म के आधार पर मुस्लिम समाज को आरक्षण देना है।
उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, उत्तराखंड के कांग्रेस नेता स्पष्ट करें, क्या वह पिछड़ों का आरक्षण मुस्लिमों को देने वाली अपनी सरकारों के पक्ष में हैं? वह मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ऊपर के जाने के पक्षधर हैं।