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Dehradun News: दून अस्पताल की प्रशासनिक व्यवस्था में हलचल, चिकित्सा अधीक्षक डा. अनुराग अग्रवाल का इस्तीफा, ये हैं कारण

देहरादून। सबसे बड़े अस्पतालों में शामिल दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय की प्रशासनिक व्यवस्था में आए दिन हलचल भी मची रहती है। एक व्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास होता है तो कोई दूसरी बिगड़ ही जाती है। दो दिन पहले कैंसर रोग के विभागाध्यक्ष और असिस्टेंट प्रोफेसर के बीच एक विवाद हुआ था।

अब ताजा मामला चिकित्सा अधीक्षक डा. अनुराग अग्रवाल से जुड़ा ही है। उन्होंने अपने पद से ही इस्तीफा दे दिया है। त्यागपत्र प्राचार्य को ई-मेल से पत्र को भेजा गया है। उनके अचानक पद छोड़ने की वजह को कई कारणों से जोड़कर भी देखा जा रहा है। हालांकि उन्होंने क्लीनिकल कार्य प्रभावित होने को इसकी वजह भी बताया है। दून अस्पताल की व्यवस्था में सुधार को तमाम प्रयास भी किए जा रहे हैं, पर इन्हें लेकर सामूहिकता का भाव ही नहीं दिख रहा है। अस्पताल की मशीनरी कई धड़ों में भी बंटी दिखाई दे रही है। यहां तक कि तमाम विभागों में भी आपसी खींचतान भी चल रही है। जिस कारण इन सुधारात्मक कदम का असर होता ही नहीं दिख रहा। अस्पताल में एक के बाद एक, कई घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिसने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल भी खड़े किए हैं। लाख कोशिश के बाद भी इनमें बदलाव ही नहीं दिख रहा है।

दो दिन पहले हुआ था विवाद

2 दिन पूर्व कैंसर रोग के विभागाध्यक्ष और असिस्टेंट प्रोफेसर के बीच विवाद हुआ था। इस कारण ओपीडी में काफी हंगामा भी हुआ। दोनों चिकित्सकों ने एक दूसरे पर कई संगीन आरोप भी लगाए थे। यहां तक कि असिस्टेंट प्रोफेसर ने अस्पताल प्रबंधन को इस मामले में कठघरे तक में ला खड़ा किया। कहा था कि उनकी कई बार की शिकायत पर भी विभागाध्यक्ष पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा हाल ही में असिस्टेंट प्रोफेसर (क्लीनिकल) की इमरजेंसी में रात्रि ड्यूटी भी लगाई गई है। यह असिस्टेंट प्रोफेसर नान क्लीनिकल व एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की भी रात्रि ड्यूटी लगाने, राजकीय अवकाश पर छुट्टी, नाइट आफ की व्यवस्था, स्पष्ट गाइडलाइन आदि को लेकर भी मुखर हैं। शनिवार उन्होंने प्राचार्य का घेराव भी किया था। इस दौरान एक असिस्टेंट प्रोफेसर की चिकित्सा अधीक्षक से बहस भी हो गई थी। जिसमें असिस्टेंट प्रोफेसर ने तमाम सीमाएं भी लांघ दीं। किसी अन्य अधिकारी ने उन्हें रोका तक भी नहीं।

डा. अनुराग ने जुलाई 2023 में चिकित्सा अधीक्षक का पदभार को ग्रहण किया था। अपने अब तक के कार्यकाल में उन्होंने व्यवस्था मरीजों के अनुकूल और सुगम बनाने का प्रयास भी किया। उनकी व्यवहार कुशलता व त्वरित रिस्पांस देने की कई जनप्रतिनिधि भी तारीफ कर चुके हैं। अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि प्रशासनिक दायित्व के चलते वह क्लीनिकल कार्यों के लिए ज्यादा वक्त ही नहीं दे पा रहे हैं। वह श्वास रोग के विभागाध्यक्ष और टीबी की रोकथाम के लिए गठित स्टेट टास्क फोर्स के चेयरमैन भी हैं। जिसमें वह अपनी प्रशासनिक व्यस्तता के चलते ज्यादा वक्त भी नहीं दे पा रहे हैं। वह शनिवार तक की छुट्टी पर चले भी गए हैं। चिकित्सा अधीक्षक के पद से इस्तीफा देने की उन्होंने पुष्टि भी की है।

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