मसूरी वन प्रभाग में 7 हजार पिलर्स का विवाद, DFO ने लगाए गए आरोपों को बताया झूठा
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देहरादून/मसूरी: मसूरी वन प्रभाग में कथित तौर पर करीब 7,375 पिलर्स (सीमा चिन्हक) गायब होने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। इस पर डीएफओ अमित कंवर ने सफाई देते हुए सभी आरोपों को बेबुनियाद भी बताया है।
डीएफओ कंवर ने कहा कि
“ना तो पिलर्स गायब हैं और न ही कोई घोटाला हुआ है। यह खबरें अधूरी जानकारी व भ्रामक मंशा से फैलाई जा रही हैं।”
डीएफओ का पक्ष
- 2023 में हुए सर्वे में 7,375 पिलर्स “अनुलब्ध” दर्ज किए गए थे, कई घने जंगलों, भूस्खलन और दुर्गम स्थानों के कारण फील्ड में दिखाई नहीं दिए।
- अब विभाग ने डिटेल्ड रीसर्वे और जीपीएस आधारित पुनः चिन्हांकन शुरू किया है।
- पिछले एक वर्ष की फील्ड रिपोर्ट्स में पिलर्स की छेड़छाड़ या गायब होने की बात सामने नहीं आई।
अतिक्रमण पर जवाब
डीएफओ ने कहा कि सिर्फ पिलर्स न दिखने का मतलब अतिक्रमण ही नहीं है। प्रमाणित सर्वे व रिकॉर्ड के आधार पर ही अतिक्रमण माना जाएगा। उन्होंने बताया कि 2024 से अब तक 35.9 हेक्टेयर जमीन अतिक्रमण से मुक्त कराई गई है, जबकि 13.43 हेक्टेयर भूमि पर केस भी चल रहा है।
संपत्ति पर उठे सवाल
अपनी संपत्ति को लेकर उठे सवालों पर कंवर ने कहा कि
उनकी व परिवार की सारी संपत्ति वैध स्रोतों से अर्जित है और हर साल शासन को उसकी रिपोर्ट भी दी जाती है। उन्होंने कहा कि झूठी खबरें फैलाने वालों पर मानहानि का मुकदमा भी दर्ज करेंगे।
एक्शन प्लान
वन विभाग ने पिलर्स को लेकर फेजवाइज एक्शन प्लान भी बनाया है। सर्वे ऑफ इंडिया के नक्शे, फील्ड रिपोर्ट व जीपीएस लोकेशन के आधार पर पिलर्स को फिर से स्थापित किया जाएगा। साथ ही अतिक्रमण के मामलों में विधिसम्मत कार्रवाई भी होगी।





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