यमुना नदी के कटाव से फूलचट्टी–जानकीचट्टी सड़क 200 मीटर तक ध्वस्त, यमुनोत्री यात्रा पर संकट
मानसून के बाद दूसरा चरण शुरू होना मुश्किल, जंगलचट्टी से आगे सड़क अब भी बाधित

यमुनोत्री धाम की यात्रा एक बार फिर संकट में पड़ गई है। फूलचट्टी से जानकीचट्टी को जोड़ने वाली सड़क का करीब 200 मीटर हिस्सा यमुना नदी के कटाव से पूरी तरह से बह गया है। इससे यात्रा मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया है और आगामी चरण की यात्रा शुरू होने पर संशय गहरा गया है।
जंगलचट्टी में भी अब तक बहाल नहीं हुआ मार्ग
फूलचट्टी से पहले जंगलचट्टी क्षेत्र में भी सड़क पिछले 18 दिनों से बाधित है। वहीं, सिलाई बैंड और बाडिया के आसपास के इलाकों में सड़क बार-बार बंद हो रही है, जिससे लगातार यात्रियों और प्रशासन की मुश्किलें बढ़ रही हैं।
मॉनसून के बाद भी जोखिम बना हुआ
मानसून बीत जाने के बावजूद यमुनोत्री हाईवे के कई हिस्सों में भूस्खलन और कटाव का खतरा बना हुआ है। विशेषकर हनुमान चट्टी से फूलचट्टी और फिर आगे जानकीचट्टी तक का मार्ग पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधीन फूलचट्टी से जानकीचट्टी तक की सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है।
ध्वस्त सड़क का पुनर्निर्माण प्रयास जारी
लोक निर्माण विभाग के ईई तनुज कम्बोज ने बताया कि:
“फूलचट्टी से जानकीचट्टी तक सड़क के सुधारीकरण का प्रयास तेजी से जारी है। इस सड़क को जल्द ही राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग को हस्तांतरित किया जाना है।”
वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के एई धीरज गुप्ता ने कहा:
“अगर मौसम अनुकूल रहा तो फूलचट्टी तक हाईवे दो दिनों में वाहनों के लिए खोला जा सकता है।”
सड़कें नहीं, सिर्फ खतरे बचे हैं
स्थिति यह है कि कई जगहों पर तो सड़क का नामोनिशान तक नहीं बचा है। यात्रा मार्ग पर मलबा, कटाव और भारी बोल्डर लगातार बाधा बने हुए हैं। ऐसे में दूसरे चरण की यात्रा शुरू करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
शासन-प्रशासन के दावों पर उठे सवाल
हालांकि शासन और प्रशासन यमुनोत्री धाम की सुरक्षित और सुगम यात्रा को लेकर दावे कर रहा है, लेकिन जमीनी हालात उन दावों को खंडित करते नजर आ रहे हैं। सुरक्षा और संरचना के अभाव में यात्रा को फिर से सुचारू करना आसान नहीं होगा।
यात्रियों को फिलहाल न जाने की सलाह
प्रशासन ने यात्रियों से फूलचट्टी से आगे न बढ़ने और अधिकृत अपडेट का इंतजार करने की अपील की है। किसी भी नई सूचना के लिए स्थानीय प्रशासन और एनएच अधिकारियों से संपर्क किया जा सकता है।