उत्तराखंड में मातृ मृत्यु दर कम करने की कोशिशें, महिला चिकित्सकों की कमी बनी बाधा

उत्तराखंड सरकार व स्वास्थ्य विभाग मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव के दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश भर में महिला चिकित्सकों के 117 पद खाली है।
बता दें कि वर्तमान में मात्र 55 डॉक्टर ही कार्यरत हैं। पर्वतीय क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) महिला डॉक्टरों की स्थिति और भी चिंताजनक है। स्वास्थ्य विभाग में महिला चिकित्सकों के 172 पद स्वीकृत हैं। इसके सापेक्ष 117 पद खाली है। प्रदेश में सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में महिला डॉक्टरों की कमी से प्रसव हाई रिस्क मामलों में गर्भवती को रेफर करना पड़ता है।
जिसमें कई बार गर्भवती की जान जोखिम में होती है। स्वास्थ्य मंत्रालय की अवस्थापना व मानक संसाधन पर हेल्थ डायनामिक रिपोर्ट में इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड(आईपीएचएस ) मानकों के अनुसार विशेषज्ञों की कमी सामने लाया गया। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में 49 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है।
इसमें मानकों के तहत 49 महिला डॉक्टर तैनात होने चाहिए, लेकिन चार सीएचसी में महिला डॉक्टर कार्यरत है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि महिला स्वास्थ्य को लेकर सरकार गंभीर है। एमबीबीएस डॉक्टरों की राज्य में पर्याप्त संख्या है, लेकिन विशेषज्ञों की कमी है। इसे दूसरे के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है। संविदा पर डॉक्टरों की नियुक्ति की जा रही है।




