श्रीलंका में अशोक वाटिका में बुरांश जैसे खिलते फूल, भारतीय संस्कृति की छाप
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श्रीलंका के कैंडी में स्थित अशोक वाटिका, जहां रावण ने सीता माता को कैद किया था, अब उत्तराखंड के राज्य पुष्प बुरांश की तरह खिलते फूलों से सजा हुआ है। यह स्थान श्रीलंका के नुवारा एलिया जिले में स्थित हकगला बॉटनिकल गार्डन क्षेत्र में ही है, और यहां के पर्वत और वृक्ष आज भी रामायण में वर्णित रूप में नजर भी आते हैं।
अशोक नाम के जो वृक्ष यहां पाए जाते हैं, वे भारत में पाए जाने वाले अशोक वृक्ष से अलग हैं। श्रीलंकाई अशोक के वृक्ष में बुरांश की तरह गुच्छे में ढेरों फूल फरवरी से अप्रैल माह के बीच खिलते हैं। ये फूल पीले रंग के होते हैं और इनके पत्ते भी बुरांश जैसे होते हैं, हालांकि बुरांश के लाल या सफेद रंग के उलट श्रीलंकाई अशोक के फूलों का रंग पीला होता है।
भारतीय संस्कृति की गहरी छाप
श्रीलंका में भारतीय संस्कृति की गहरी छाप देखने को मिलती है। यहां जगह-जगह भारतीय परिधान में महिलाएं हाथों में फूलों की थाली लेकर मंदिरों और बौद्ध मठों की ओर जाती नजर आती हैं। राम, सीता और हनुमान की महिमा का बखान हर ओर सुनने को मिलता है। श्रीलंका में चाय बागान लगाने के लिए अंग्रेजों ने तमिल श्रमिकों को भारत से यहां लाया था, जिनके वंशज आज यहां की बड़ी आबादी का हिस्सा हैं। बौद्ध धर्म भी यहां व्यापक रूप से प्रचलित है।
रामायण के स्थानों की पहचान
श्रीलंका में रामायण से जुड़ी कई महत्वपूर्ण स्थल हैं, जैसे रावण का महल, रावण फॉल, युद्धगनावा, और सीता का मंदिर। एक विशेष स्थान, जहां लोगों का मानना है कि बजरंगबली ने रावण का महल जलाया था, आज भी पूरी तरह से काला है। वहीं अशोक वाटिका का वह क्षेत्र, जिसे हनुमान जी ने उजाड़ा था, आज भी वीरान पड़ा है, जबकि इसके ठीक नीचे घना जंगल फैला हुआ है।
श्रीलंका में भारतीय संस्कृति और रामायण से जुड़ी धरोहरों की मौजूदगी को देखकर यह महसूस होता है कि यह द्वीप देश सैकड़ों वर्षों से भारतीय परंपराओं और धार्मिक इतिहास का हिस्सा रहा है।




