मंगलवार व्रत के इन नियमों का पालन करें, मिलेंगी बजरंगबली की विशेष कृपा
मंगलवार व्रत: हनुमान जी की पूजा और नियमों का पालन कर पाएंगे जीवन में सुख और समृद्धि
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मंगलवार के दिन भक्त हनुमान जी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें बूंदी के लड्डू, फल, मिठाई सहित अन्य चीजों का भोग भी अर्पित करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से बजरंगबली की पूजा करने से जीवन में आने वाले दुख और संकटों से मुक्ति भी मिलती है। साथ ही हनुमान जी की कृपा से बिगड़े काम भी पूरे होते हैं। अगर आप मंगलवार का व्रत कर रहे हैं, तो इसके नियमों का पालन बेहद ही जरूरी है। मान्यता है कि नियमों का उल्लंघन करने से जीवन में परेशानियां भी आ सकती हैं, और हनुमान जी नाराज हो सकते हैं। आइए, जानते हैं मंगलवार व्रत के कुछ महत्वपूर्ण नियमों के बारे में।
मंगलवार व्रत के नियम:
- भोजन और ब्रह्मचर्य: मंगलवार व्रत में शाम के समय ही भोजन करना चाहिए, और वह भी सात्विक भोजन होना चाहिए। साथ ही, ब्रह्मचर्य का पालन भी करें।
- कपड़े: इस दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें। लाल रंग के कपड़े पहनना अधिक शुभ माना जाता है।
- बाल और नाखून: मंगलवार व्रत के दौरान बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। ऐसा करने से मंगल देव नाराज हो सकते हैं और जीवन में समस्याएं भी आ सकती हैं।
- ध्रूमपान और तामसिक चीजें: मंगलवार को ध्रूमपान, नमक और तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे व्रत टूट सकता है और पूजा का शुभ फल भी प्राप्त नहीं होगा।
- व्यवहार और सोच: इस दिन बड़े-बुजुर्गों और महिलाओं से वाद-विवाद से बचें, और किसी के बारे में बुरा न सोचें। ऐसी गलतियां व्रत के प्रभाव को नकारात्मक बना सकती हैं।
- भोजन: मंगलवार व्रत में दूध, दही, बेसन के लड्डू, मूंग दाल का हलवा, साबूदाने की खिचड़ी और घी में बनी हुई पूरी आदि का सेवन किया जा सकता है। इन सभी चीजों को खाने से पहले सच्चे मन से हनुमान जी को भोग अर्पित करें, और फिर प्रसाद के रूप में इन्हें बाटें।
मंगलवार व्रत से आध्यात्मिक लाभ:
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मंगलवार व्रत करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। इससे साधक की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं, करियर और व्यापार में तरक्की मिलती है, और रुके हुए काम जल्दी पूरे होते हैं।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय, लाभ, और सलाह केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दूनदर्शन न्यू मीडिया इस लेख में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करते। यह जानकारी विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांगों, प्रवचनों, मान्यताओं और धर्मग्रंथों से प्राप्त की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे अंतिम सत्य न मानें और अपने विवेक का उपयोग करें।