हल्द्वानी में पूर्व सीएम हरीश रावत ने की ‘थैंक्यू काफल पार्टी’, पहाड़ी उत्पादों के संरक्षण की अपील
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हल्द्वानी। पहाड़ी व्यंजनों व पारंपरिक उत्पादों के संरक्षण के पक्षधर पूर्व सीएम हरीश रावत ने हल्द्वानी में आयोजित “थैंक्यू काफल पार्टी” में काफल को प्रकृति की सौगात बताते हुए कहा कि यह फल केवल स्वाद नहीं, बल्कि उत्तराखंड की आर्थिकी से भी जुड़ा है। उन्होंने कहा कि काफल जैसे उत्पाद पहाड़ों में रोजगार का जरिया बन सकते हैं और पलायन रोकने में अहम भूमिका भी निभा सकते हैं।
पीलीकोठी स्थित एक बैंक्वेट हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, विधायक हरीश धामी, मनोज तिवारी, सुमित हृदयेश समेत कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता, पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी शामिल हुए। कार्यक्रम में आए लोगों को रसीले काफलों का स्वाद भी चखाया गया।
कार्यक्रम में खास बात यह रही कि पूर्व सीएम खुद पारंपरिक वाद्य यंत्र दमाऊ बजाते हुए नजर आए। इस दौरान उत्तराखंड के लोकगीतों पर झूमते कार्यकर्ताओं व समर्थकों ने माहौल को पूरी तरह लोकसंस्कृति में रंग भी दिया। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि ऐसे आयोजनों से न केवल पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा मिलता है, बल्कि संस्कृति से भी जुड़ाव भी बना रहता है।
पूर्व सैनिकों और वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान
कार्यक्रम में पूर्व सैनिकों और बुजुर्गों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित भी किया गया। साथ ही ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना की भूमिका को नमन करते हुए उन्हें सलामी भी दी गई। हल्द्वानी, रामनगर व बिंदुखत्ता जैसे क्षेत्रों से बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक कार्यक्रम में शामिल भी हुए।
लोक संस्कृति की झलक
रामनगर पालिकाध्यक्ष हाजी अकरम द्वारा गाए गए “बेडू पाको बारामासा” गीत ने भी सबका ध्यान भी खींचा और खूब तालियां बटोरीं।
इस मौके पर गोविंद कुंजवाल, प्रदीप टम्टा, हेमेश खर्कवाल, ललित फर्स्वाण, राहुल छिमवाल, आनंद रावत, जया कर्नाटक, भागीरथी देवी सहित कई नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे।
पूर्व सीएम ने अंत में कहा कि
“काफल सिर्फ फल नहीं, पहाड़ की पहचान है। इसे अपनाना, आर्थिकी व संस्कृति को बचाना है।”




