सरकारी अस्पतालों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भारी कमी, 45% पद खाली—मरीजों को हो रही भारी परेशानी
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देहरादून: जिले के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी गंभीर समस्या भी बनी हुई है। राजधानी के बड़े अस्पतालों में लंबे समय से स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की भारी कमी भी है, जिसके चलते मरीजों को उपचार के लिए बार-बार दून मेडिकल कॉलेज, कोरोनेशन अस्पताल या प्राइवेट अस्पतालों की ओर जाना भी पड़ रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में सामान्य व स्पेशलिस्ट मिलाकर कुल 331 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनकी तुलना में सिर्फ 45% विशेषज्ञ चिकित्सक ही अपनी सेवाएं भी दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में कई स्वास्थ्य केंद्र रेफर सेंटर बनकर भी रह गए हैं।
विशेषज्ञ डॉक्टर कम ज्वाइन कर रहे—CMO
देहरादून के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज शर्मा ने बताया कि स्पेशलिस्ट डॉक्टर अपेक्षाकृत कम ज्वाइन भी कर रहे हैं, यही कमी का सबसे बड़ा कारण भी है।
हालांकि सरकार लगातार प्रयास कर रही है—
- नए डॉक्टरों की भर्ती
- “You Quote, We Pay” योजना के जरिए विशेषज्ञों को आकर्षित करना
- दूरस्थ क्षेत्रों में नियुक्तियों के लिए प्रोत्साहन
उन्होंने बताया कि जल्द ही 285 नए डॉक्टरों के लिए अधियाचन जारी होने वाला है।
जिले में डॉक्टरों की वर्तमान स्थिति
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार—
- 311 चिकित्सा अधिकारी के पद स्वीकृत, जिनमें से 284 कार्यरत, 27 खाली
- 253 नियमित पद, शेष संविदा, बांडेड और प्रशिक्षणरत डॉक्टर
- 23 डॉक्टर संविदा पर कार्यरत
- 7 बांडेड डॉक्टर
- 23 डॉक्टर स्नातकोत्तर प्रशिक्षण में
- जनपद में 10 डॉक्टर अनुपस्थित
- कुल 248 डॉक्टर वर्तमान में कार्यरत
कुछ नए डॉक्टरों ने हाल ही में ज्वाइन भी किया है, जिससे स्थिति में कुछ सुधार आने की उम्मीद भी है।
“You Quote, We Pay” योजना भी नहीं दे सकी अपेक्षित परिणाम
विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिए चलाई जा रही यह योजना उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए महत्वपूर्ण थी, जिसमें डॉक्टर अपनी इच्छित सैलरी कोट करते हैं और सरकार भुगतान भी करती है।
फिर भी—
- कई स्पेशलिस्ट इस योजना के तहत भी ज्वाइन नहीं कर रहे
- दूरस्थ क्षेत्रों में नियुक्तियों में अब भी मुश्किलें
मरीजों पर बढ़ रहा बोझ
स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी के कारण—
- ग्रामीण क्षेत्रों में सही समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा
- छोटे अस्पताल रेफर सेंटर बन गए
- मरीजों को दून और निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा
- उपचार में देरी और खर्च दोनों बढ़ रहे




