लेखक गांव, उत्तराखंड में आज बुधवार को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की शताब्दी जयंती के अवसर पर भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर नालंदा पुस्तकालय एवं शोध केंद्र का उद्घाटन और अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान माला का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। राजत शर्मा ने मुख्य वक्ता की भूमिका निभाई। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, इंडिया फ्लैग फाउंडेशन के सीईओ मेजर जनरल असीम कोहली, सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा ‘अरुण’ और डॉ. सविता मोहन जैसे विशिष्ट अतिथियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से आयोजन को विशेष बनाया।
कार्यक्रम की शुरुआत लेखक गांव में स्थित 72 फीट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज के फहराने के साथ हुई, जिसे इंडिया फ्लैग फाउंडेशन ने स्थापित किया है। इसके पश्चात अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण हुआ। इस अवसर पर सभी अतिथियों ने पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
नालंदा पुस्तकालय एवं शोध केंद्र का उद्घाटन इस आयोजन का प्रमुख आकर्षण रहा। यह पुस्तकालय प्राचीन भारतीय ज्ञान की धरोहर को सहेजने के साथ-साथ आधुनिक शोध और अध्ययन के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करेगा। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान माला का शुभारंभ किया गया, जो हर वर्ष आयोजित होगी। इसका उद्देश्य अटल के बहुआयामी व्यक्तित्व और उनके साहित्यिक व राजनीतिक विचारों को समाज के साथ साझा करना है।
मुख्य वक्ता राजत शर्मा ने कहा, “अटल केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक युगदृष्टा और श्रेष्ठ वक्ता थे। उनकी वाक्पटुता, साहित्यिक प्रतिभा और प्रेरणादायी नेतृत्व हमें आज भी मार्गदर्शन देता है। लेखक गांव और नालंदा पुस्तकालय उनके विचारों को जीवंत रखने का एक अभूतपूर्व प्रयास है। मुझे गर्व है कि उनके 100वें जन्मदिवस पर मैं इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बन सका।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने उद्बोधन में कहा, “उत्तराखंड राज्य की स्थापना अटल की दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प का परिणाम है। लेखक गांव और नालंदा पुस्तकालय उनकी साहित्यिक और सांस्कृतिक दृष्टि को साकार करने की दिशा में एक सराहनीय पहल है। यह स्थान न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव का विषय है।”
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इस अवसर पर कहा, “यह लेखक गांव और नालंदा पुस्तकालय आधुनिक भारत के ज्ञान का तीर्थस्थल है। डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने अटल के सपनों को साकार करने का एक उत्कृष्ट कार्य किया है। लेखक गांव साहित्य, संस्कृति और विचारों का केंद्र बनेगा, जहां समाज को दिशा देने वाले विचार पनपेंगे।”
डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इस अवसर पर कहा, “भारत हमेशा से ज्ञान और संस्कृति का केंद्र रहा है। नालंदा पुस्तकालय हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा का प्रतीक है और यह आधुनिक युग में भी समाज को प्रेरित करेगा। अटल मेरे लिए केवल एक राजनैतिक गुरु नहीं, बल्कि साहित्यिक प्रेरणा भी थे। उन्होंने मुझे राजनीति में सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया और साहित्य के प्रति मेरी निष्ठा को बनाए रखने की सीख दी। उनका बहुआयामी व्यक्तित्व और उनकी दूरदृष्टि आज भी हमारा मार्गदर्शन करती है। लेखक गांव और अटल स्मृति व्याख्यान माला उनके विचारों को जीवंत रखने का प्रयास है।”
लेखक गांव केवल एक स्थान नहीं, बल्कि साहित्य, संस्कृति और विचारों का मंदिर है। नालंदा पुस्तकालय शोध और अनुसंधान के लिए नई पीढ़ी को प्रेरित करेगा। लेखक गांव का उद्देश्य है कि यह साहित्यकारों, कवियों और कलाकारों के लिए ऐसा मंच बने, जहां वे अपने विचार साझा कर सकें और समाज को नई दिशा दे सकें।
यह आयोजन अटल के योगदान और विचारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक अनूठा प्रयास है। लेखक गांव, साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान स्थापित करने की दिशा में निरंतर अग्रसर है।