उत्तराखंड

2047 तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा भारत: देहरादून में वैज्ञानिकों ने पेश किया रोडमैप

देहरादून स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (IIP) में चल रहे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “सेफ्को” के दूसरे दिन वैज्ञानिकों ने वर्ष 2047 तक भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की रूपरेखा भी प्रस्तुत की। “ऊर्जा भविष्य निर्माण: चुनौतियां एवं अवसर” विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में देश-विदेश के विशेषज्ञों ने ऊर्जा संक्रमण, दक्षता और स्वच्छ ऊर्जा को लेकर गहन विचार-विमर्श भी किया।

ऊर्जा संक्रमण और स्वच्छ ईंधन पर जोर

आईआईटी दिल्ली के प्रो. सुधासत्व बसु ने ऊर्जा रूपांतरण और भंडारण तकनीकों पर भी जानकारी दी। वहीं, कनाडा की प्रो. समीरा सियाह्रोस्तामी ने कम्प्यूटेशनल कटैलिसिस के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा बदलाव की संभावनाएं भी प्रस्तुत कीं।

IISc बंगलूरू के प्रो. सप्तर्षि बसु ने कम कार्बन उत्सर्जन वाली दहन प्रणालियों पर चर्चा की, जबकि साउथ अफ्रीका यूनिवर्सिटी ऑफ केपटाउन के प्रो. एरिक वैन स्टीन ने तरल नवीकरणीय ईंधन की उपयोगिता को रेखांकित भी किया। बीपीसीएल के डॉ. भारत नेवलकर ने ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की प्रक्रिया पर रोशनी डाली।

देश को ऊर्जा स्वतंत्र बनाने की रणनीति

पैनल चर्चा में आईआईपी के डॉ. सी सामंत और बीपीसीएल के एसके वत्स ने 2047 तक भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को आत्मनिर्भर तरीके से पूरा करने की रणनीति पेश की। उन्होंने बताया कि कैसे बायोमास, यूज्ड कुकिंग ऑयल से डीजल और पेट्रोल बनाया जा सकता है।

वक्ताओं ने सौर ऊर्जा, बायोफ्यूल और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे स्वदेशी विकल्पों को अपनाकर विदेशी ऊर्जा पर निर्भरता खत्म करने की आवश्यकता भी जताई।

सम्मेलन का समापन आज शुक्रवार को होगा, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र के भविष्य को लेकर अंतिम सिफारिशें साझा की जाएंगी।

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