फर्जीवाड़े की परत-दर-परत खुली पोल: सुरेंद्र ने की तीन साल में तीन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की चालाकी!
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देहरादून | उत्तराखंड में एक अभ्यर्थी द्वारा किया गया फर्जीवाड़ा अब तक का सबसे पेचीदा मामला बनकर सामने आया है। सुरेंद्र कुमार नामक इस युवक ने न केवल पहचान और शैक्षिक प्रमाणपत्रों में धोखाधड़ी की, बल्कि तीन फॉर्म भरने में ऐसी चालाकी दिखाई कि खुद ही अपने जाल में फंस गया। सेवायोजन विभाग द्वारा जारी की जाने वाली इम्प्लाई आईडी में सुरेंद्र ने बड़ी चूक कर दी। उत्तराखंड की आईडी जहां ‘UK’ से शुरू होती है और उसमें 16 अंक होते हैं, वहीं सुरेंद्र ने ‘UA’ से आईडी शुरू की और केवल 13 अंक ही दर्ज किए। यहीं से उसकी पोल खुलनी शुरू हो गई। जांच में पता चला कि सुरेंद्र ने अपने पिता के नाम की अंग्रेजी स्पेलिंग तीनों फॉर्म में अलग-अलग लिखी — सालीक, शालीक और सलीक। यही नहीं, उसने देहरादून के बालावाला का फर्जी स्थायी प्रमाणपत्र भी लगाया, जिसमें न तो सही शासनादेश संख्या थी और न ही एसडीएम के हस्ताक्षर। देहरादून पते के आधार पर बनाए गए ओबीसी प्रमाणपत्र में भी हेरफेर पाया गया। प्रमाणपत्र संख्या जहां 16 अंकों की होनी चाहिए थी, वहां सुरेंद्र ने 17 अंकों की संख्या दर्शा दी।
सुरेंद्र की सबसे चौंकाने वाली चालाकी तब सामने आई जब उसने वर्ष 2010 से 2013 के बीच तीन अलग-अलग विश्वविद्यालयों से ग्रेजुएशन करने के दस्तावेज प्रस्तुत किए। जांच में यह असंभव पाया गया, क्योंकि एक ही समय में तीन संस्थानों से स्नातक डिग्री हासिल करना व्यावहारिक रूप से नामुमकिन है। अपनी उम्र को लेकर भी सुरेंद्र ने कई हेरफेर किए। हाईस्कूल के प्रमाणपत्रों में उसने एक बार 1988 तो दूसरी बार 1995 जन्मतिथि दर्शाई। यही नहीं, इंटर और ग्रेजुएशन के लिए भी अलग-अलग शिक्षण संस्थानों का उल्लेख किया गया। सुरेंद्र ने देहरादून, गाजियाबाद और हापुड़—तीनों स्थानों को अपना निवास बताया। यही नहीं, तीनों जगहों के अलग-अलग दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। अधिकारियों के अनुसार, मामले की गहराई से जांच की जा रही है। जल्द ही आरोपी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।




