महेंद्र भट्ट ने संसद में उठाया मनरेगा के रोजगार दिवसों और योजना के दायरे बढ़ाने का मुद्दा
Deprecated: preg_split(): Passing null to parameter #3 ($limit) of type int is deprecated in /home/u948756791/domains/doondarshan.in/public_html/wp-content/themes/jannah/framework/functions/post-functions.php on line 805
देहरादून। राज्यसभा सांसद और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने मनरेगा कार्य दिवसों की संख्या और योजना के दायरे को बढ़ाने का मुद्दा संसद में उठाया है।
उच्च सदन में अतारांकित प्रश्न सं. 2541 के तहत उन्होंने ग्रामीण विकास मंत्री से इस विषय पर विस्तृत जानकारी मांगी। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) के तहत 100 रोजगार दिवसों को और बढ़ाने पर विचार करेगी? इसके साथ ही, क्या इस योजना में जल संरक्षण, ग्रामीण स्वच्छता, वृक्षारोपण और अग्नि निवारण जैसी गतिविधियों को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है?
इस पर ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने जवाब दिया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत, प्रत्येक परिवार जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक होते हैं, उन्हें प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान किया जाता है। इस उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा बढ़ाने का प्रयास भी किया जाता है।
जहां तक रोजगार दिवसों का सवाल है, यह मंत्रालय वन क्षेत्र में प्रत्येक अनुसूचित जनजाति के परिवार को 50 अतिरिक्त दिन का मजदूरी रोजगार देता है, जो निर्धारित 100 दिनों से अलग होता है, बशर्ते कि इन परिवारों के पास वन अधिकार अधिनियम (FRA) के अधिकार हों और कोई अन्य निजी संपत्ति न हो। इसके अलावा, सूखा या प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्रों में 50 दिनों तक अतिरिक्त मजदूरी रोजगार का प्रावधान भी है। इसके अतिरिक्त, अधिनियम की धारा 3(4) के तहत राज्य सरकारें रोजगार गारंटी अवधि के अलावा अतिरिक्त रोजगार प्रदान करने का प्रावधान कर सकती हैं।
महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत किए जाने वाले अनुमेय कार्यों की संख्या कुल 266 है, जिनमें से 150 कार्य कृषि और कृषि से जुड़े गतिविधियों से संबंधित हैं और 58 कार्य प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से जुड़ी गतिविधियों से संबंधित हैं। जल संरक्षण और जल संचयन संरचनाओं में भूमिगत बांध, मिट्टी के बांध, चेक डेम और वर्षा जल संचयन शामिल हैं। इसके तहत अब तक 7.61 लाख जल संरक्षण कार्य चल रहे हैं और 62.89 लाख कार्य पूरे हो चुके हैं, जिन पर कुल 1,77,840.09 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4.99 लाख जल संरक्षण कार्य पूरे हो चुके हैं, जिन पर 17,889.52 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
वहीं, वनरोपण के कार्यों की बात करें तो सार्वजनिक और वन भूमि में सड़क के किनारों, नहरों, टैंक के किनारों और तटीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण किए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत 28.48 लाख वृक्षारोपण कार्य चल रहे हैं और 89.24 लाख कार्य अब तक पूरे हो चुके हैं। इन पर कुल 72,996.52 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 7.96 लाख वृक्षारोपण कार्य पूरे हो चुके हैं, जिन पर 7,762.59 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
ग्रामीण स्वच्छता संबंधी कार्यों के तहत व्यक्तिगत शौचालय, विद्यालय शौचालय और सामुदायिक शौचालय बनाए जा रहे हैं, जो स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। अब तक कुल 1.68 लाख सामुदायिक स्वच्छता कार्य चल रहे हैं, जबकि 66.20 लाख कार्य पूरे हो चुके हैं। इन कार्यों पर 11,452.32 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1.06 लाख सामुदायिक स्वच्छता कार्य पूरे हो चुके हैं, जिन पर 768.63 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।




