नैनीताल, हल्द्वानी और कैंची धाम की जाम समस्या से जल्द मिलेगी राहत, केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान बनाएगा आधुनिक यातायात प्लान

नैनीताल। पर्यटन सीजन में नैनीताल, हल्द्वानी व कैंची धाम में विकराल रूप लेती ट्रैफिक जाम की समस्या से अब जल्द ही निजात मिलने की उम्मीद है। केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) इन तीनों क्षेत्रों के लिए एक समग्र यातायात प्रबंधन योजना भी तैयार करेगा। इसके लिए लगभग 97 लाख रुपये की लागत का प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है। बजट स्वीकृति के बाद संस्थान योजनाओं को अमल में भी लाएगा।
हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद शुरू हुई प्रक्रिया
13 मई को नैनीताल हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को निर्देश भी दिए थे कि वह सीआरआरआई से नैनीताल व अन्य पर्यटन स्थलों की ट्रैफिक व्यवस्था का सर्वे कराकर रिपोर्ट भी प्रस्तुत कराए। इसके तहत सीआरआरआई के विशेषज्ञों ने बीते महीने नैनीताल, कैंची धाम व हल्द्वानी का स्थलीय निरीक्षण कर ट्रैफिक दबाव, पार्किंग की स्थिति व जाम के कारणों का विश्लेषण भी किया।
बनेगा इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम
सीआरआरआई की योजना के अनुसार, वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर एक “इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम” भी तैयार किया जाएगा। इसमें निम्न बिंदु शामिल रहेंगे:
- ट्रैफिक लोड के अनुसार सड़कों का चौड़ीकरण
- अतिक्रमण हटाना
- टोल प्लाजा का पुनर्विन्यास
- पार्किंग स्थलों की क्षमता वृद्धि
- जाम और पार्किंग की लाइव जानकारी देने वाला मोबाइल ऐप
इस सिस्टम से पर्यटकों को उनके मोबाइल पर ही यह जानकारी भी मिल सकेगी कि कहां पार्किंग उपलब्ध है और किन मार्गों पर ट्रैफिक जाम भी है।
कैंची धाम बना नई चुनौती
गौरतलब है कि बाबा नीम करौली महाराज के कैंची धाम में श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड संख्या भी पहुंच रही है। इस वजह से यहां हर वीकेंड और धार्मिक आयोजनों पर लंबा जाम भी लग रहा है। प्रशासन ने शटल सेवा भी शुरू की है, लेकिन वह भी वाहन दबाव के आगे असहाय ही साबित हो रही है।
एक वर्ष में तैयार होगा प्लान
लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता रत्नेश कुमार सक्सेना ने बताया कि सीआरआरआई का प्रस्ताव विभागीय प्रमुख अभियंता को भी भेजा गया है। बजट स्वीकृति मिलते ही एक वर्ष में प्लान भी तैयार कर लिया जाएगा और उसे धरातल पर उतारने की प्रक्रिया भी शुरू होगी।
कोर्ट के निर्देश बने बदलाव की नींव
हाई कोर्ट ने केवल ट्रैफिक नहीं, बल्कि पर्यटन स्थलों की भूगर्भीय भार वहन क्षमता की जांच के लिए आईआईटी रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट को भी अब जिम्मेदारी सौंपी है। इस व्यापक अध्ययन के बाद यह तय किया जाएगा कि पर्यटन स्थलों पर कितनी संख्या में पर्यटकों व वाहनों को एक समय में अनुमति भी दी जा सकती है।