राज्य के 102 नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण संबंधी अध्यादेश अभी राजभवन में ही अटका है। राजभवन ने दो में से केवल मलिन बस्तियों के अध्यादेश को ही मंजूरी दी है। इधर, निकाय चुनाव के लिए सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आधार बनाने का विकल्प भी अब खुला हुआ है। इस सप्ताह इस पर तस्वीर साफ होने की भी संभावना है।
सरकार ने कैबिनेट से मंजूरी के बाद मलिन बस्ती और निकायों के ओबीसी आरक्षण में भी बदलाव संबंधी अध्यादेश को राजभवन भेजा था। बीते मंगलवार को मलिन बस्तियों के अध्यादेश को तो मंजूरी मिल गई, लेकिन ओबीसी आरक्षण में बदलाव का अध्यादेश राजभवन में ही अटका हुआ है। चर्चा है कि इसमें प्रवर समिति का पेंच होने के चलते राजभवन मंथन भी किया जा रहा है। ऐसी भी संभावना है कि राजभवन इसे लौटा भी दे।
राजभवन से अध्यादेश को मंजूरी न मिलने की सूरत में भी सरकार के पास निकाय चुनाव कराने का विकल्प भी खुला है। सुप्रीम कोर्ट के 2021 में आए आदेश में राज्य के पास निकायों में एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की रिपोर्ट को लागू करते हुए ओबीसी आरक्षण देने का विकल्प खुला हुआ है। इस विकल्प के तहत सरकार को केवल ओबीसी आरक्षण नियमावली को मंजूरी देनी है, जिसके बाद चुनाव की प्रक्रिया आगे भी बढ़ जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च 2021 को महाराष्ट्र की रिट याचिका, 10 मई 2022 को सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश राज्य रिट याचिका पर भी फैसला सुनाया था। इन दोनों याचिकाओं के आधार पर यह तय किया गया था कि राज्य ओबीसी वर्ग की आबादी के हिसाब से आरक्षण निर्धारित करने के लिए एकल सदस्यीय समर्पित आयोग बनाएंगे। इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर निकायों में ओबीसी का आरक्षण लागू भी किया जाएगा। जिस आधार पर चुनाव भी कराए जाएंगे।