आईएफएस संजीव चतुर्वेदी के मामले से एक और न्यायाधीश ने खुद को किया अलग, अब तक 14 जज कर चुके हैं किनारा

नैनीताल। उत्तराखंड कैडर के आईएफएस व मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के एक आपराधिक मानहानि से जुड़े मामले में सुनवाई से नैनीताल की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM) नेहा कुशवाहा ने अब खुद को अलग कर लिया है।
यह मामला संजीव चतुर्वेदी द्वारा नवंबर 2023 में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के सदस्य मनीष गर्ग के विरुद्ध दायर उस आपराधिक मानहानि याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि 16 अक्टूबर 2023 को खुले न्यायालय में उनके प्रति आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग भी किया गया था।
ACJM नेहा कुशवाहा ने इस केस से खुद को अलग करने का कारण कैट के ही एक सदस्य डीएस महरा से पारिवारिक संबंध भी बताया। उन्होंने आदेश में स्पष्ट किया कि डीएस महरा उनके सरकारी आवास पर आते रहते हैं, ऐसे में इस मामले की सुनवाई करना उनके लिए न्यायोचित भी नहीं होगा।
अब तक 14 न्यायाधीश कर चुके हैं खुद को अलग
संजीव चतुर्वेदी के मामलों से अब तक 14 न्यायाधीश खुद को अलग भी कर चुके हैं। इनमें शामिल हैं:
- सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश
- उत्तराखंड हाईकोर्ट के दो न्यायाधीश
- कैट के अध्यक्ष
- शिमला ट्रायल कोर्ट के एक न्यायाधीश
- दिल्ली और इलाहाबाद कैट बेंच के सात न्यायाधीश
फरवरी 2025 में भी दो कैट जज हटे थे
फरवरी 2025 में कैट के न्यायाधीश हरविंदर कौर ओबेरॉय और बी. आनंद ने भी संजीव चतुर्वेदी के मामलों की सुनवाई से खुद को अलग भी कर लिया था। 19 फरवरी के आदेश में उन्होंने कैट रजिस्ट्री को निर्देश भी दिया था कि भविष्य में संजीव के केस उनकी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध न किए जाएं, हालांकि आदेश में कोई कारण तो नहीं बताया गया था।
पुराने मामलों में भी कई जजों ने नहीं की सुनवाई
- फरवरी 2024 में उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज तिवारी ने भी चतुर्वेदी की प्रतिनियुक्ति से जुड़ी याचिका की सुनवाई से इनकार करते हुए मामले को अपने समक्ष सूचीबद्ध न करने का आदेश भी दिया था।
- वर्ष 2018 में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि चतुर्वेदी से जुड़ी सेवा संबंधी सुनवाई केवल नैनीताल सर्किट बेंच में ही हो। केंद्र सरकार पर ₹25,000 का जुर्माना भी लगाया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा।
- मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उस मामले को बड़ी पीठ को भी सौंप दिया था, जिसमें केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती भी दी थी।
भ्रष्टाचार उजागर करने से जुड़ी याचिका पर भी दो सुप्रीम कोर्ट जज हटे
- नवंबर 2013 में जस्टिस रंजन गोगोई और
- अगस्त 2016 में जस्टिस यूयू ललित
ने खुद को उस याचिका की सुनवाई से अलग भी कर लिया था जिसमें संजीव चतुर्वेदी ने हरियाणा के तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर सीबीआई जांच की मांग भी की थी। यह मांग उन्होंने भ्रष्टाचार उजागर करने व प्रताड़ना को लेकर की थी।
संजीव चतुर्वेदी के मामलों में लगातार न्यायिक असहयोग व सुनवाई से न्यायाधीशों की दूरी अब एक गंभीर प्रश्न भी बनता जा रहा है। उनके द्वारा दायर कई अहम मामलों में अब तक अनेक न्यायाधीश खुद को सुनवाई से अलग भी कर चुके हैं, जिससे मामलों के समाधान में विलंब भी हो रहा है।