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नगर निगम से रजिस्टर चोरी का पर्दाफाश: दाखिल-खारिज कराने के लिए प्रॉपर्टी डीलर ने रची साजिश, एक गिरफ्तार, दो फरार

देहरादून : दून नगर निगम के रिकॉर्ड रूम से चोरी हुआ रजिस्टर अब बरामद कर लिया गया है। इस सुनियोजित चोरी की साजिश में शामिल एक प्रॉपर्टी डीलर रविंद्र राणा को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है। आरोपी ने अपने भाई व रिश्तेदार के साथ मिलकर दाखिल-खारिज के फर्जीवाड़े के लिए रिकॉर्ड रूम में सेंधमारी की थी, लेकिन गलती से वह गलत रजिस्टर ही चुराकर ले आए।

पुलिस ने चोरी हुआ रजिस्टर आशारोड़ी के जंगल से बरामद भी कर लिया है। आरोपी के दो साथी—उसका भाई योगेश राणा और रिश्तेदार कुलदीप—फरार हैं। मामले में प्रॉपर्टी डीलर प्रवीण रावत व जमीन मालिक राजकिशोर की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

ऐसे रची गई थी साजिश

  • मुख्य आरोपी रविंद्र राणा, जो सहारनपुर का रहने वाला है व एलएलबी अंतिम साल का छात्र है, प्रॉपर्टी डीलिंग भी करता है।
  • उसकी मुलाकात प्रवीण रावत से हुई, जो दिल्ली निवासी राजकिशोर की राजपुर रोड स्थित जमीन बेचने की योजना भी बना रहा था।
  • जमीन से जुड़े कागजों में गलती के चलते दाखिल-खारिज नहीं हो पा रहा था। इसके लिए रविंद्र को कमीशन और रेट के हिसाब से भुगतान का लालच भी दिया गया।
  • काम नहीं बनने पर आरोपी ने खुद ही नगर निगम के रिकॉर्ड रूम से रजिस्टर चोरी करने की योजना भी बना डाली।

ऐसे दिया वारदात को अंजाम

  • 4 मई की रात, रविंद्र अपने भाई योगेश व रिश्तेदार कुलदीप के साथ नगर निगम की पिछली दीवार से भीतर घुसे।
  • सीढ़ी की मदद से स्टोर रूम तक पहुंचे, और पेचकस से ताला तोड़कर रजिस्टर ढूंढने लगे।
  • सही रजिस्टर न मिलने पर गलती से ‘बकराल क्षेत्र’ का लेखा-जोखा रजिस्टर ले आए।
  • बाहर निकलते समय एक महिला के आ जाने से वे हड़बड़ा गए और रजिस्टर को लेकर भाग निकले।
  • बाद में रजिस्टर को एक प्लास्टिक पन्नी में लपेटकर आशारोड़ी के जंगल में फेंक दिया।

पुलिस की कार्रवाई

  • सीसीटीवी फुटेज और हुलिए के आधार पर रविंद्र राणा को गिरफ्तार किया गया।
  • चोरी गया रजिस्टर भी बरामद कर लिया गया है।
  • फरार आरोपियों की तलाश में पुलिस दबिश दे रही है।
  • एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि मामले में संलिप्त सभी की भूमिका की जांच की जा रही है।

इस घटना ने नगर निगम में रिकॉर्ड सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि कितने ऐसे दाखिल-खारिज गलत तरीके से करवाए गए हैं।

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