रामनगर में बनेगी भूकंपीय वेधशाला, अलर्ट सायरन से पहले ही मिलेगा भूकंप का संकेत
नैनीताल ज़िले के रामनगर में जल्द ही भूकंपीय वेधशाला भी स्थापित की जाएगी। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) ने इसके लिए तहसील परिसर में ज़मीन भी चिन्हित कर ली है। यह वेधशाला न केवल भूकंप की तीव्रता मापेगी, बल्कि धरती के भीतर की हलचल का समय रहते पता लगाकर खतरे की स्थिति में अलर्ट सायरन भी बजाएगी।
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की योजना के तहत उत्तराखंड में कुल 8 भूकंपीय वेधशालाएँ बनेंगी। इनमें हरिद्वार, टिहरी गढ़वाल, चमोली, नैनीताल, बागेश्वर, अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग व देहरादून ज़िले शामिल हैं। नैनीताल ज़िले के लिए चुना गया स्थान रामनगर तहसील का पिछला हिस्सा है, जहां पहले से वर्षा मापक संयंत्र भी मौजूद है। यहाँ लगभग 300 वर्ग फीट भूमि उपलब्ध भी है।
रामनगर के अलावा रुड़की, देवप्रयाग, कर्णप्रयाग, बागेश्वर, अल्मोड़ा, केदारनाथ व चकराता में भी भूकंपीय वेधशालाएँ स्थापित होंगी।
कैसे काम करेगी वेधशाला?
भूकंपीय वेधशाला में भूकंप के समय, स्थान व तीव्रता का पता लगाया जाता है। भूकंपीय तरंगों को मापकर यह लोगों को पहले ही अलर्ट भी कर देगी। साथ ही पृथ्वी की आंतरिक संरचना, सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों व परमाणु परीक्षणों की निगरानी में भी मदद करेगी।
रामनगर क्यों चुना गया?
वैज्ञानिकों के अनुसार, रामनगर भूकंप की फॉल्ट लाइन पर ही बसा है। 1505 में यहां 7 से 8 तीव्रता का बड़ा भूकंप भी आया था। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी जगहों पर 500-600 वर्ष के अंतराल में बड़े भूकंप की आशंका भी रहती है।




