पहाड़ों में पक्षियों के लिए विशेष वृक्ष प्रजातियों का उगाया जाएगा, वन महकमे ने तैयार किया 10 वर्षीय कार्ययोजना
अब पहाड़ों में उन वृक्षों, झाड़ियों और लताओं की प्रजातियों को विशेष रूप से उगाया जाएगा, जिन पर पक्षी भोजन के लिए निर्भर रहते हैं। यह व्यवस्था पहली बार वन महकमे की 10 वर्षीय कार्ययोजना में शामिल की जा रही है। इससे पक्षियों के वास स्थलों में सुधार की उम्मीद भी जताई जा रही है।
वन अनुसंधान विभाग ने यह निर्णय लिया है कि पहले पक्षियों के भोजन के लिए कौन-सी प्रजातियां प्रमुख रूप से उपयोग की जाती हैं, इसका अध्ययन भी किया जाए। इसके तहत विशेषज्ञों ने गढ़वाल के मंडल स्थान पर अध्ययन भी किया, जिसमें पाया गया कि देवदार के जंगलों में हिमालयन आईवी नामक लता पर दस से अधिक पक्षी आते हैं। इसके अलावा बुरांश, हिसालू, मेहल, तेजपत्ता, किल्मोड़ा और घिंघारू जैसी प्रजातियों पर भी पक्षी पहुंचते हैं।
वन अधिकारियों के अनुसार, यदि इन वृक्षों और लताओं की प्रजाति बढ़ाई जाती है, तो पक्षियों की संख्या में भी वृद्धि होगी। इस बार यह फैसला लिया गया है कि इस दिशा में काम किया जाए, और कार्ययोजना में संबंधित प्रजातियों को उगाने का उल्लेख भी किया जा रहा है। यह प्रयास पहली बार ही किया जा रहा है।
मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने कहा, “राज्य में 700 से अधिक पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से करीब 30 संकटापन्न हैं। अब तक कार्ययोजनाओं में पक्षियों के संरक्षण को लेकर कोई विशेष संस्तुति नहीं की जाती थी, लेकिन इस बार इसे शामिल भी किया गया है। इसके अलावा, कई पक्षियों के संरक्षण के लिए चिह्नित क्षेत्रों का नियमित सर्वे व अन्य सुझाव भी दिए गए हैं।”




