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संघर्ष की कहानी: खो-खो खिलाड़ी ने खोले जीवन के राज, कहा- पापा भी मैच नहीं देखते थे, अब पूरी दुनिया पहचानती है!

कहते हैं कि संघर्ष में आदमी अकेला होता है, लेकिन सफलता के बाद पूरी दुनिया ही उसके साथ होती है। महाराष्ट्र के खो-खो खिलाड़ियों की कहानी भी इसी बात को साबित करती है। पहले खाली मैदानों में खो-खो खेलते इन खिलाड़ियों को कोई भी नहीं जानता था, लेकिन जब इन्होंने राष्ट्रीय खेलों के बाद खो-खो विश्व कप में भारतीय टीम को विश्व विजेता बनाया, तो पूरी दुनिया की निगाहें इन पर ही थीं। अब वही खिलाड़ी हल्द्वानी में चल रहे राष्ट्रीय खेलों में महाराष्ट्र टीम के सदस्य के रूप में भी खेल रहे हैं।

गौलापार स्टेडियम में मंगलवार से राष्ट्रीय खेलों के तहत खो-खो प्रतियोगिता की शुरुआत हुई। पहले दिन 8 इवेंट हुए, जिनमें से दूसरा और तीसरा मुकाबला महाराष्ट्र व उत्तराखंड के बीच था। दोनों मुकाबले महाराष्ट्र ने ही जीतें। महाराष्ट्र टीम में सुयश विश्वास गरकटे, रामजी कश्यप व आदित्य गनपुले ने भाग लिया, जो खो-खो विश्व कप विजेता भारतीय टीम के सदस्य भी थे।

26 वर्षीय सुयश विश्वास गरकटे ने बताया कि पहले वह लंगड़ी खेलते थे, लेकिन वर्ष 2011 में कक्षा 8 में पढ़ाई के साथ-साथ खो-खो खेलना शुरू किया। उस समय परिवार वाले खो-खो को एक करियर नहीं मानते थे, लेकिन सुयश ने अपनी जिद पर ध्यान दिया और खो-खो खेलना जारी रखा। स्थानीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया, लेकिन कोई उसे देखने ही नहीं आता था। फिर पिछले माह खो-खो विश्व कप के फाइनल में उनकी टीम ने जीत हासिल की, और पूरी दुनिया ने सुयश की फुर्ती भी देखी। अब उनके परिवार के सदस्य भी उनकी सफलता पर गर्व महसूस करते हैं। सुयश पहले गोवा व गुजरात में राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं, और अब महाराष्ट्र सरकार से उन्हें शिवछत्रपति अवॉर्ड भी मिल चुका है। इसके अलावा, सुयश वर्तमान में इनकम ट्रैक्स में कार्यरत हैं और स्पोर्ट्स एक्जिक्यूटिव ऑफिसर के पद पर नियुक्त होने वाले हैं।

महाराष्ट्र के सोलापुर के रामजी कश्यप ने भी 12 वर्ष की उम्र से खो-खो खेलना शुरू किया था। पहले वह दौड़ते थे, लेकिन एक दिन उनके टीचर ने दौड़ते हुए उन्हें देखा और खो-खो टीम में शामिल होने का सुझाव दिया। उसी पल से उनका खो-खो के प्रति रुझान बढ़ा, और आज दुनिया ने उनकी फुर्ती भी देखी।

इसके अलावा, ओडिशा की टीम भी राष्ट्रीय खेलों में भाग ले रही है, जिसमें प्रबानी साबर, मगई माझी व सुभाष्री सिंह जैसे खिलाड़ी शामिल हैं, जो हाल ही में दिल्ली में हुए विश्व कप विजेता भारतीय टीम के सदस्य थे। इन खिलाड़ियों ने भी राष्ट्रीय खेलों के लिए अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है।

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Doon Darshan