उत्तराखंड
अनाथ, निर्बल एवं ड्रापआउट बेटियों के हौसले को लगेगें पंख, बेटियों के भविष्य सुधारने वाली महत्वकांशी योजनाओं को डीएम ने किया स्वीकृत।
सीडीपीओ गांव-गांव से छांट कर निकाले ड्रापआउट बालिका, बेटी पढाने से एक जिंदगी नही पूरा परिवार होगा उन्नत

- डीएम ने बेटी बचाओ, बेटी पढाओ, में रूटीन कार्यों की अपेक्षा प्रभावी स्थायी परिणाम वाली योजनाओं बनाने के निर्देश।
- जरूरतमंद बालिकाओं को आर्किटेक्ट, कम्प्यूटर, मेडिकल साइंस, आदि व्यवसायिक कोर्स के लिए हम करेंगे फंडिंगः डीएम
- प्रचार-प्रसार वितरण रूटीन है, बेटियों के आगे की पढाई और व्यवसायिक कोर्स में दाखिल करवाना है
- ड्रापआउट बालिकाओं का घर-घर जाकर हो प्रभावी सर्वें, कोई भी बालिका न रहे पढाई से वंचित।
देहरादून : जिलाधिकारी सविन बसंल की अध्यक्षता में ऋषिपर्णा सभागार में ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’’ जिला स्तरीय टास्कफोर्स महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की बैठक आयोजित की गई। टास्क फोर्स के प्रस्तावों की दी स्वीकृति।
जिलाधिकारी ने बाल विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि ऐसी योजनाओं पर कार्य करें जो भविष्य में रोल मॉडल साबित हों। उन्होंने कहा कि बालिकाओं की शिक्षा बहुत आवश्यक है इसके लिए घर-धर जाकर प्रभावी सर्वे किया जाए और 10-18 वर्ष की ड्रापआउट बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ा जाए।किस कारण बालिका ड्रापआउट हैं की पूर्ण पड़ताल करते हुए समाधान की दिशा में कार्य करें अधिकारी। उन्होंने ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजनान्तर्गत बालिकाओं के असुरक्षित स्थानों के चिन्हिकरण के पश्चात् उक्त स्थानों को सुरक्षित बनाने के लिए प्राप्त सुझावों पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए। उन्होेनें महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि बालिकाओं के स्वर्णिम भविष्य के लिए नई योजनाएं और नए प्रयास किये जाने आवश्यक है I इसके लिए उन्होनें टास्कफोर्स से सुझाव भी मांगे।
बैठक में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अन्तर्गत 11वीं और 12वीं कक्षा उत्तीर्ण बालिकाओं को जनपद के शैक्षणिक संस्थानों सांइस सिटी, झाझरा, एफ०आर०आई० देहरादून जू का भ्रमण एवं मोटीवेशनल मूवी दिखाने, किशोरी बालिकाओं के पोषण स्तर में सुधार के उद्देश्य से उनकी निरन्तर वृद्धि निगरानी और समय-समय पर पोषण सम्बन्धी जानकारी प्रदान करने के लिए अवनी अभियान संचालित करने की स्वीकृति दी।