उत्तराखंडराजनीति

उत्तराखंड निकाय चुनाव: कांग्रेस के पार्षद जीतने वाले क्षेत्रों में भी पोखरियाल को नहीं मिली बढ़त, कहां हुई चूक? जानिए यहां

देहरादून: जहां कांग्रेस के पार्षद जीते, वहां पर भी महापौर प्रत्याशी विरेंद्र पोखरियाल को बढ़त मिलती हुई नजर नहीं आई। रात के 2 बजे तक देहरादून नगर निगम के 55 वार्डों के पार्षद चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे, जिनमें से 17 वार्डों में कांग्रेस के पार्षद विजय भी रहे।

वहीं, 3 राउंड की गिनती के बाद यह स्पष्ट हुआ कि कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी, विरेंद्र पोखरियाल, किसी भी स्तर पर बढ़त बनाने में सफल ही नहीं हो पाए। इसके विपरीत, बीजेपी के 33 पार्षद जीतने में कामयाब हुए और महापौर प्रत्याशी सौरभ थपलियाल 49 हजार से अधिक मतों की बढ़त भी बना चुके थे।

हालांकि, अभी तक लगभग 35 प्रतिशत वार्डों के परिणाम स्पष्ट नहीं हुए हैं, लेकिन शुरुआती नतीजों से यह तस्वीर भी साफ हो गयी थी। निकाय चुनाव में यह देखा गया है कि पार्षद चुनाव में जनता उनके पसंदीदा उम्मीदवार को चुनती है, जो सालभर उनके बीच दिखे और जनता के दुख-सुख में शामिल भी रहे।

महापौर प्रत्याशी का चयन पार्टी के अंदर की पसंद-नापसंद पर भी निर्भर करता है, और यह इस बात पर भी आधारित होता है कि संगठन स्तर पर कितनी मेहनत की गई। सौरभ थपलियाल की बढ़त को मोदी फैक्टर और धामी सरकार के कामों से जोड़कर भी देखा जा रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी जनसभाओं में सौरभ थपलियाल को विजयी बनाने और ‘ट्रिपल इंजन’ की सरकार बनाने की अपील की थी, जिसका असर नतीजों में भी स्पष्ट नजर आया है। दूसरी ओर, विरेंद्र पोखरियाल के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं ने न तो जमीनी स्तर पर कड़ी मेहनत की और न ही वार्डों में पार्षद प्रत्याशियों ने उनके लिए वोट मांगे।

यह स्थिति तीन दौर की गिनती के नतीजों से स्पष्ट होती है। कांग्रेस में सेवादल, पूर्व सैनिक लीग, कांग्रेस बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ, अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग, महिला कांग्रेस और युवा कांग्रेस जैसे संगठन पार्टी की नीतियों को आम जनता तक पहुंचाने का दावा करते हैं, लेकिन नतीजों में इसका कोई असर देखने को ही नहीं मिला।

इसके साथ ही, बीजेपी के महापौर प्रत्याशी के पक्ष में पोलिंग बूथों पर कांग्रेस से ज्यादा बढ़त भी दिखाई दी, जिससे यह भी जाहिर होता है कि कांग्रेस के पार्षदों ने विरेंद्र पोखरियाल के लिए काम करने में कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखाई। कांग्रेस महापौर प्रत्याशी को 50 हजार मतों से पीछे रहने के बाद, पार्टी के बड़े नेता धड़ेबाजी और आंतरिक असंतोष को हवा देने में जुट गए हैं।

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