
नैनीताल। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस व बीजेपी दोनों प्रमुख दलों का प्रदर्शन अपेक्षाओं से काफी कमजोर ही रहा। जहां कांग्रेस लगभग पूरी तरह नाकाम रही, वहीं बीजेपी भी बमुश्किल 34.78% जीत प्रतिशत के साथ “ग्रेस मार्क्स” से ही पास होती दिखी। कांग्रेस की हालत इतनी खराब रही कि उसने जिले की केवल 8 जिला पंचायत सीटों पर ही प्रत्याशी उतारे, जिनमें से सिर्फ 2 को ही सफलता भी मिली।
निकाय में धमाकेदार प्रदर्शन के बाद भी पंचायत में पीछे हटी कांग्रेस
जनवरी में संपन्न हुए निकाय चुनावों में कांग्रेस ने नैनीताल जिले में बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी। डॉ. सरस्वती खेतवाल (नैनीताल), पंकज आर्या (भवाली) व सीमा टम्टा (भीमताल) कांग्रेस के खाते में ही गईं थीं। यहां तक कि लालकुआं व कालाढूंगी में भी कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी मजबूत ही रहे। लेकिन पंचायत चुनाव में कांग्रेस बैकफुट पर भी नजर आई। कांग्रेस ने 27 जिला पंचायत सीटों में से केवल 8 पर ही प्रत्याशी उतारे, जिनमें से 2 ही जीत सके। यही नहीं, रामनगर की तीनों सीटों पर भी कांग्रेस को हार का मुंह भी देखना पड़ा।
भाजपा के लिए भी आसान नहीं रहा सफर
बीजेपी ने 23 जिला पंचायत सीटों पर समर्थन दिया था लेकिन सिर्फ 8 प्रत्याशी ही जीत दर्ज भी कर सके। हल्द्वानी में बीजेपी की निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया तक को हार का सामना भी करना पड़ा, जो पार्टी के लिए बड़ा झटका भी रहा।
रामनगर में बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर
रामनगर में बीजेपी के तीनों समर्थित प्रत्याशियों — अनीता आर्य (मालधनचौड़), सीता देवी (चिल्किया), व दीप चंद्र आर्य (सांवल्दे) ने जीत दर्ज की। चुनाव परिणामों की रात विधायक दीवान सिंह बिष्ट खुद मतगणना स्थल पर ही मौजूद रहे।
पक्ष-विपक्ष की प्रतिक्रियाएं
प्रताप सिंह विष्ट, बीजेपी जिलाध्यक्ष नैनीताल ने कहा:
“पंचायत चुनाव में अधिकांश ग्राम प्रधान, बीडीसी व जिला पंचायत सदस्य भाजपा समर्थित हैं। 66 जिला पंचायतों में बहुमत बीजेपी के पास है। यही लहर 2027 के विधानसभा चुनावों तक भी जारी रहेगी।”
राहुल छिम्वाल, कांग्रेस जिलाध्यक्ष नैनीताल ने पलटवार किया:
“कांग्रेस ने 8 सीटों पर समर्थन दिया, जिनमें 2 जीते भी है। इसके अलावा 4 अन्य विजयी प्रत्याशी कांग्रेस से ही जुड़े रहे हैं। बीजेपी ने जिस तरह घर-घर लाल निशान लगाए हैं, जनता उसका जवाब देना शुरू कर चुकी है। 2027 में बीजेप की इमारत ढह जाएगी।”