उत्तराखंड

उत्तराखंड: वरिष्ठ IAS अफसरों को सौंपा गया ‘पहली पोस्टिंग’ का कार्यक्षेत्र, विकास की नई जिम्मेदारी

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने राज्य के वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारियों को उनके प्रथम नियुक्ति स्थल को ‘गोद’ लेने का निर्देश भी दिया है। यह पहल न केवल प्रशासनिक स्मृतियों को जोड़ने की कोशिश है, बल्कि अधिकारियों को स्थानीय विकास में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करने का प्रयास भी है।

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन द्वारा मंगलवार को जारी आदेश के अनुसार, 8700 ग्रेड-पे या उससे अधिक वाले सभी IAS अधिकारी अपने पहले कार्यक्षेत्र—जैसे कि विकासखंड, तहसील या जिला मुख्यालय—को गोद लेंगे व वहां विकास की दिशा में ठोस कार्य भी करेंगे।

राज्य के 40 वरिष्ठ IAS अफसर होंगे शामिल

प्रदेश के लगभग 40 वरिष्ठ आईएएस अधिकारी इस पहल के तहत अपने पहले पोस्टिंग स्थल में अब तक हुए बदलावों की समीक्षा भी करेंगे और वहां समावेशी विकास का नया मॉडल भी तैयार करेंगे।

सीएम पुष्कर सिंह धामी की प्राथमिकता के अनुरूप इस योजना का उद्देश्य है कि अधिकारी उस क्षेत्र में व्यावहारिक बदलाव लाएं जहां से उन्होंने प्रशासनिक करियर की शुरुआत भी की थी।

सामाजिक और आर्थिक विकास पर होगा फोकस

इस आदेश के तहत अफसरों को:

  • प्रथम कार्यक्षेत्र में अब तक हुए विकासात्मक बदलावों पर टिप्पणी करनी होगी।
  • CSR (कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) या अन्य संसाधनों का उपयोग कर सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान देना होगा।
  • स्थानीय NGOs, सिविल सोसायटी और जनता से समन्वय बनाकर कार्य भी करना होगा।
  • जिला योजना, राज्य सेक्टर, वित्त आयोग आदि से मिलने वाले बजट का उपयोग कर विकास कार्यों की कार्ययोजना भी तैयार करनी होगी।

संभावित विसंगतियों पर स्पष्टता

यदि किसी कार्यक्षेत्र में दो अधिकारियों की प्रथम तैनाती रही है, तो उनमें से एक अधिकारी को अपनी दूसरी तैनाती वाला क्षेत्र भी चुनना होगा।

तीन स्तर की तैनातियों की सूची भी जारी

सरकार की ओर से सभी अधिकारियों की प्रथम, द्वितीय व तृतीय नियुक्ति स्थलों की सूची भी उनके नाम के साथ सार्वजनिक कर दी गई है, ताकि प्रक्रिया में पारदर्शिता भी बनी रहे और अधिकारियों को योजना के तहत कार्यक्षेत्र चयन में स्पष्टता भी रहे।

उत्तराखंड सरकार की यह पहल एक अभिनव प्रयोग के रूप में देखी जा रही है, जहां वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को न केवल उनकी स्मृतियों से जोड़ा जा रहा है, बल्कि उन्हें वास्तविक धरातल पर विकास के प्रयासों से भी जोड़ा जा रहा है।

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