Uttarakhand: तबादलों की अंतिम तिथि कल, मार्च से शुरू होने वाली प्रक्रिया में अब तक सुस्ती बरकरार
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देहरादून। उत्तराखंड में शिक्षक व कर्मचारियों के सामान्य तबादलों की प्रक्रिया को लेकर फिर से लापरवाही उजागर हुई है। तबादला एक्ट के तहत जहां 10 जून तक सभी तबादले संपन्न भी हो जाने चाहिए, वहीं अधिकतर विभाग अब तक अधूरी तैयारी के साथ ही काम चला भी रहे हैं। इससे न केवल पारदर्शिता प्रभावित हो रही है, बल्कि तबादलों को लेकर कानूनी पेंच भी अब उलझते ही जा रहे हैं।
सरकार द्वारा पारदर्शी तबादलों के लिए तबादला अधिनियम लागू भी किया गया है, जिसके तहत हर वर्ष मार्च से तबादलों की प्रक्रिया शुरू भी होनी चाहिए। इसमें कार्यस्थलों की मानक के अनुसार पहचान, रिक्त पदों का प्रकाशन, और पात्र कर्मचारियों की सूची जारी करने जैसे महत्वपूर्ण चरण भी शामिल हैं।
लेकिन हकीकत ये है कि अधिकांश विभागों ने अभी तक न तो रिक्त पदों को वेबसाइट पर प्रकाशित किया और न ही तबादले के इच्छुक कर्मचारियों से निर्धारित विकल्प भी मांगे। इसके चलते तय समयसीमा में तबादलों की प्रक्रिया पूरी होना मुश्किल ही नजर आ रही है।
शिक्षक संघ ने उठाई आवाज
राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने इस पूरे मामले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि,
“तबादले शिक्षकों का अधिकार हैं और इन्हें हर हाल में किया जाना चाहिए। यदि सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई, तो हम 16 जून को प्रदेशभर से शिक्षक देहरादून पहुंचकर शिक्षा निदेशालय में धरना भी देंगे।”
शिक्षकों का कहना है कि तबादले और पदोन्नति में लगातार हो रही देरी से उनकी पारिवारिक व सामाजिक स्थिति भी प्रभावित हो रही है।
क्या है नियमों के अनुसार प्रक्रिया?
- मार्च से शुरू होनी थी तबादला प्रक्रिया
- 20 अप्रैल तक मांगे जाने थे विकल्प
- रिक्त पदों की वेबसाइट पर होनी चाहिए थी जानकारी
- 10 जून तक पूर्ण होनी थी प्रक्रिया
अब देखना यह होगा कि सरकार व विभाग समयसीमा में पारदर्शी तबादलों को पूरा कर पाते हैं या नहीं, या फिर यह मामला एक बार फिर शिक्षकों के धरने व आंदोलन की ओर बढ़ता है।




