उत्तराखंडराजनीति

कुमाऊं में बीजेपी को अजय दिलाएंगे विजय…या फिर प्रदीप प्रकाश करेंगे कांग्रेस का उजाला

कुमाऊं की दोनों सीटों पर अब सियासी बिगुल बजने के साथ ही मंडल के सयासी पंडित दोनों ही प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियों की हार-जीत का गणित लगाने में भी जुट गए हैं। वर्तमान परिस्थितियों में देखा जाए तो प्रचार से लेकर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियां बांटने में भगवा खेमा आगे ही है। भितरघात से दोनों ही दलों के प्रत्याशियों को जूझना भी पड़ेगा, लेकिन इस मामले में ज्यादा सावधान कांग्रेस प्रत्याशियों को ही रहना होगा क्योंकि नैनीताल सीट पर जहां अप्रत्याशित रूप से युवा चेहरे पर दांव खेला गया है उससे लगता नहीं है कि आसानी से टिकट के दावेदार इस बात को भी पचा पाएंगे। कांग्रेस के एक पुराने नेता व विकास पुरुष एमडी तिवारी के रिश्तेदार दीपक बल्यूटिया ने तो कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी शैलजा कुमारी को इस्तीफे के साथ लंबा चौड़ा पत्र भी भेज दिया। अल्मोड़ा में भी कांग्रेस प्रत्याशी को पार्टी के दो विधायकों की नाराजगी भी भारी पड़ सकती है। सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के सामने बीजेपी है, जहां मोदी फरमान के आगे सारे बागी बिल के भीतर ही छिप जाएंगे या पार्टीके उम्मीदवार के समर्थन में प्रचार करते भी नजर आएंगे। ऐसे हालात में देखना होगा कि कुमाऊं की दोनों सीटों भगवा फिर लहराएगा या कांग्रेस के प्रदीप और प्रकाश देश की सबसे पुरानी पार्टी के वैभव को लौटा कर यहां नई लौ जलाने में कामयाब भी होंगे या नहीं।

अल्मोड़ा-पिथैरागढ़ सीट पर : बीजेपी से- अजय टम्टा, कांग्रेस से- प्रदीप टम्टा

नैनीताल-यूएसनगर सीट पर : बीजेपी से- अजय भट्ट, कांग्रेस से- प्रकाश जोशी

राममंदिर निर्माण के बाद भगवा लहर पर सवार अजय टम्टा को बीजेपी के मजबूत संगठन व लोकसभा क्षेत्र में वर्तमान में पिछले चुनाव के मुकाबले 11 के बजाय इस बार 9 विधायकों के प्रभाव के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का समर्थन मिल रहा है। नामांकन के दिन मुख्यमंत्री खुद अल्मोड़ा पहुंचे थे और जनसभा करके मतदाताओं के समक्ष डबल इंजन सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए बीजेपी प्रत्याशी को जिताने व मोदी का हाथ मजबूत करने की अपील भी की थी। टिकट के दावेदारों से यहां भितरघात की आशंका भी है लेकिन इतनी नहीं है जिसे बीजेपी प्रदेश कमान अपने स्तर पर मैनेज न कर सके। अजय टम्टा लगातार दो बार से सांसद है इसके बावजूद मतदाताओं का रुख देखकर सत्ता विरोधी लहर का अहसास भी नहीं है। वैसे भी मतदाता अब पहले की तरह बताता भी नहीं है। लिहाजा अजय टम्टा को इस मामले में अतिरिक्त सतर्कता भी बरतनी होगी। पंडित गोविंद बल्लभ पंत से लेकर विकास पुरुष की कर्मस्थली रही लोकसभा सीट से इस बार भी अपने काम के सहारे अजय भट्ट लगातार तीसरी बार चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश में भी है। पार्टी ने पहले ही उन्हें प्रत्याशी घोषित करके इस सीट पर मतदाताओं के बीच माइलेज भी ले लिया है। यह संसदीय सीट 2014 से बीजेपी के पास है तब भगत सिंह कोश्यारी ने हरीश रावत को शिकस्त भी दी थी, अगले चुनाव में बीजेपी ने अजय भट्ट पर दांव लगाया व उन्होंने सबसे ज्यादा अंतर से जीत दर्ज कर हरीश रावत को ऐसे वनवास पर भेजा कि तब से वह हार से ऊबर ही नहीं पाए हैं। भट्ट की प्लस प्वाइंट ये है कि साधारण से साधारण कार्यकर्ता से भी वह उसी आत्मीयता से मिलते है जिस तरह वह बड़े- बड़े नेताओं से मुलाकात करते हैं। पिछले चुनाव के कई वादों को पूरा करने के दावे के बीच उनका जनाधार बढ़ा है। हरीश रावत की सियासी शिष्य माने जाने वाले कांग्रेस नेता प्रदीप टम्टा एक बार फिर से इस लोकसभा क्षेत्र में अपने परंपरागत वोटों के सहारे अपनी चुनावी नैय्या पार करने की जुगत में भी है। पूर्व सीएम व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत इस सीट से लगातर तीन बार सांसद भी रहे है और इसी लोकसभा सीट के निवासी भी हैं। लिहाजा उनका यहां प्रचार के लिए आना प्रदीप टम्टा का लिए फायदेंमद भी हो सकता है। अपने परांपरागत वोटों के सहारे कांग्रेस ने सभी कयासों को दरकिनार करते हुए युवा के चेहरे पर दांव खेला है। प्रकाश जोशी संगठन के व्यक्ति माने जाते है व राहुल गांधी से उनकी करीबी किसी से छिपी भी नहीं है। अधिकतर समय दिल्ली या राज्य से बाहर होने की वजह से कार्यकर्ताओं से सीधे जुड़ाव के लिए उन्हें सामंजस्य भी बिठाना होगा।

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