पाकिस्तान सीमा के और करीब होगी बाड़ेबंदी, इससे हजारों किसान क्यों खुश हैं
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पाकिस्तान से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सरकार बाड़ेबंदी को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है। सीमा की सुरक्षा में तैनात बीएसएफ और गृह मंत्रालय ने इस संबंध में प्रस्ताव सरकार को सौंपा है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि जम्मू और पंजाब क्षेत्र में सीमा चौकियों और बाड़ेबंदी को थोड़ा आगे बढ़ा लिया जाए। इस प्रस्ताव की पुष्टि बीएसएफ के पश्चिमी कमांड के स्पेशल डायरेक्टर जनरल वाईबी खुरानिया ने भी की है। दरअसल इसके पीछे यह रणनीति है कि जमीन अधिग्रहण और किसानों को उसकी क्षतिपूर्ति का मसला हल हो सकेगा।
बीएसएफ के सूत्रों का कहना है कि इस कदम से पंजाब के 6 जिलों के किसानों को मदद मिलेगी और वे प्रतिबंधित इलाकों में अपने खेतों तक जा सकेंगे। इसके अलावा जंगली सुअरों से भी उनकी फसलों का बचाव हो सकेगा, जो अकसर फसल चर जाते हैं। यही नहीं बॉर्डर की पेट्रोलिंग और मैनेजमेंट भी पहले से बेहतर होगा। किसान यूनियन का कहना है कि करीब 45 हजार एकड़ सरकारी और निजी उपजाऊ जमीन प्रतिबंधित इलाके में आती है। यदि इसे मुक्त कर दिया जाए तो किसानों को बड़ा फायदा होगा। यहां किसान अपनी फसल बेहतर तरीके से उगा सकेंगे और उसकी रखवाली भी आसान होगी।
दरअसल 1988 से 1993 के दौरान पंजाब में सीमा क्षेत्र को बढ़ा दिया गया था। ऐसा तब हुआ था, जब उग्रवाद चरम पर था। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। पंजाब में कई जगहों पर अंतरराष्ट्रीय सीमा और उससे बाद पहले लगी फेंस के बीच कुछ फुट से लेकर 2 किलोमीटर तक की दूरी है। ऐसे में बड़ा इलाका ऐसा होता है, जिसका कोई इस्तेमाल नहीं होता। इससे पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरन तारन, फाजिल्का, फिरोजपुर जैसे जिलों के किसानों को राहत मिलेगी। दरअसल इन इलाकों में अकसर पाकिस्तान से आने वाले जंगली सुअर और ड्रोन फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। यदि बाड़ेबंदी थोड़ा आगे होगी तो इस स्थिति से निपटा जा सकेगी।




