बदरीनाथ की बर्फबिहीन चोटियां बनीं खतरे की घंटी, वैज्ञानिकों ने जताई पर्यावरणीय संकट की आशंका
समय से पहले बर्फ का पिघलना ग्लेशियरों पर डालेगा गहरा असर, बढ़ती मानवीय गतिविधियां और ग्लोबल वार्मिंग जिम्मेदार
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देहरादून — उत्तराखंड के उच्च हिमालयी तीर्थ बदरीनाथ धाम की चोटियां इस बार अप्रैल माह में ही बर्फविहीन हो चुकी हैं। यह स्थिति न केवल असामान्य है, बल्कि गंभीर पर्यावरणीय संकट का संकेत भी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव ग्लेशियरों के अस्तित्व पर खतरा बनकर उभर सकता है।
दो दशक पहले बर्फ से ढका रहता था धाम
वैज्ञानिकों के अनुसार, करीब 20 साल पहले तक बदरीनाथ धाम अप्रैल के अंत तक बर्फ से ढका रहता था। मई के आखिर तक भी चोटियों पर बर्फ की परतें साफ नजर आती थीं। लेकिन अब अप्रैल में ही बर्फ गायब हो चुकी है। बदरीनाथ की ऊंची चोटियों पर भी बर्फ की मौजूदगी नाममात्र रह गई है, और जो थोड़ी बहुत बची है, वह भी तेजी से पिघल रही है।
ग्लोबल वार्मिंग और मानवीय गतिविधियों का प्रभाव
ग्लेशियर विशेषज्ञ डॉ. मनीष मेहता (वाडिया इंस्टीट्यूट) ने बताया कि बर्फ का असमय पिघलना ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ती मानवीय गतिविधियों का प्रत्यक्ष परिणाम है। उन्होंने कहा, “बर्फ ग्लेशियर के ऊपर एक जैकेट की तरह काम करती है, जो सूर्य की गर्मी को सीधे ग्लेशियर तक पहुंचने से रोकती है। लेकिन जब यह जैकेट समय से पहले पिघल जाती है, तो ग्लेशियरों का क्षरण तेज हो जाता है।”
बदलते मौसम का असर
डॉ. मेहता के अनुसार, बीते वर्षों में मौसम चक्रों में भी असामान्य बदलाव देखने को मिले हैं। बर्फबारी अब समय पर नहीं हो रही है और जब बर्फ गिरती है तो वह स्थायित्व नहीं रखती, बल्कि जल्दी ही पिघल जाती है। यह चक्र हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए दीर्घकालिक खतरे की तरह देखा जा रहा है।
भविष्य के लिए चेतावनी
विशेषज्ञों की मानें तो यदि यह स्थिति बनी रही तो आने वाले वर्षों में ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने, जल स्रोतों के सूखने और जलबालाओं के असंतुलन जैसी समस्याएं गहराएंगी। यह बदलाव जलवायु आपातकाल की ओर संकेत करता है।
बदरीनाथ जैसे पवित्र और संवेदनशील क्षेत्र में बर्फ का यूं समय से पहले गायब होना पूरे हिमालय क्षेत्र के लिए एक चेतावनी है। वैज्ञानिकों ने सरकार और पर्यावरण संरक्षण एजेंसियों से इस दिशा में ठोस नीतिगत हस्तक्षेप और जागरूकता अभियान चलाने की अपील की है, ताकि प्रकृति की इस अनमोल विरासत को बचाया जा सके।




