उत्तराखंड बोर्ड अंक सुधार परीक्षा का रिजल्ट घोषित, हाईस्कूल में 81.38% और इंटर में 76% छात्र पास

देहरादून | उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (UBSE) ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की अंक सुधार परीक्षा 2025 का परिणाम आखिरकार घोषित कर दिया है। परीक्षा परिणाम में हाईस्कूल (10वीं) के 81.38% और इंटरमीडिएट (12वीं) के 76% छात्र-छात्राएं सफल घोषित हुए हैं। हालांकि, यह परिणाम तय समय पर नहीं आ सका और कई कारणों से इसमें देरी हुई।
रिजल्ट में देरी की वजहें
उत्तराखंड बोर्ड की इस अंक सुधार परीक्षा का परिणाम अगस्त माह में ही घोषित किया जाना था। लेकिन इसमें देरी के पीछे कई प्रशासनिक और तकनीकी कारण सामने आए:
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पंचायत चुनावों में शिक्षकों की ड्यूटी लगना
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राज्य में आई आपदा की स्थिति
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राजकीय शिक्षक संघ द्वारा उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन का बहिष्कार
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परिणामस्वरूप अशासकीय विद्यालयों के शिक्षकों से उत्तर पुस्तिकाएं मूल्यांकित करवाई गईं
इन सभी परिस्थितियों के कारण उत्तराखंड बोर्ड को परीक्षा परिणाम घोषित करने में लगभग दो महीने की देरी करनी पड़ी।
कितने छात्रों ने दी थी परीक्षा?
उत्तराखंड बोर्ड द्वारा आयोजित अंक सुधार परीक्षा का उद्देश्य था उन विद्यार्थियों को एक और मौका देना जो मुख्य परीक्षा में एक या दो विषयों में अनुत्तीर्ण (फेल) हुए थे।
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हाईस्कूल (10वीं): कुल 8,400 छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया
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इंटरमीडिएट (12वीं): कुल 10,706 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी
इन परीक्षाओं के लिए राज्यभर में 97 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे, जहां 4 से 11 अगस्त 2025 के बीच परीक्षाएं आयोजित की गईं।
परीक्षाफल का विश्लेषण
इस बार के परीक्षा परिणाम ने छात्रों को बड़ी राहत दी है। दो विषयों में अनुत्तीर्ण छात्रों को सफल होने का जो अवसर दिया गया, उसमें अधिकांश छात्रों ने अच्छा प्रदर्शन किया:
| कक्षा | उत्तीर्ण प्रतिशत |
|---|---|
| हाईस्कूल (10वीं) | 81.38% |
| इंटरमीडिएट (12वीं) | 76.00% |
इस आंकड़े से स्पष्ट है कि अधिकांश छात्रों ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया है और अब आगे की पढ़ाई के लिए तैयार हैं।
छात्रों और अभिभावकों को मिली राहत
अंक सुधार परीक्षा के परिणाम आने से उन हजारों छात्रों को राहत मिली है जो अपने भविष्य को लेकर चिंतित थे। जिन विद्यार्थियों को मुख्य परीक्षा में कम अंक मिले थे या वे असफल रहे थे, उन्हें अब उच्च शिक्षा में प्रवेश या प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने का मौका मिलेगा।
आपको बता दे की इस परीक्षा के मूल्यांकन में हुई देरी ने उत्तराखंड बोर्ड की व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़े किए हैं। पहले तो सरकारी शिक्षकों द्वारा मूल्यांकन से इनकार किया गया, फिर मजबूरन अशासकीय विद्यालयों के शिक्षकों की सहायता लेनी पड़ी। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की परीक्षाओं के लिए पारदर्शी और समयबद्ध मूल्यांकन प्रणाली की आवश्यकता है।
उत्तराखंड बोर्ड की अंक सुधार परीक्षा 2025 के परिणाम से यह साफ है कि यदि छात्रों को दूसरा अवसर दिया जाए, तो वे न केवल बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं बल्कि अपने भविष्य को नई दिशा भी दे सकते हैं। हालांकि बोर्ड को भविष्य में यह सुनिश्चित करना होगा कि परीक्षा परिणाम समय पर घोषित हों, ताकि विद्यार्थियों को किसी प्रकार की अनिश्चितता का सामना न करना पड़े।




