उत्तराखंड

रामनगर: यूकेडी महाधिवेशन में कार्यकर्ताओं के बीच हंगामा, पत्रकार से अभद्रता और वीडियो डिलीट करने का आरोप

रामनग – उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के 22वें द्विवार्षिक महाधिवेशन के दौरान रामनगर के पिरूमदारा स्थित बसई क्षेत्र में बुधवार को भारी हंगामा हो गया। पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पद को लेकर कार्यकर्ताओं के बीच तीखी बहस छिड़ गई, जो देखते ही देखते पत्रकारों से अभद्रता और मारपीट तक पहुंच गई।

इस हंगामे ने तब गंभीर रूप ले लिया जब कार्यक्रम की कवरेज कर रहे एक पत्रकार के साथ यूकेडी कार्यकर्ताओं ने दुर्व्यवहार किया, उसका फोन और माइक छीन लिया और रिकॉर्ड की गई वीडियो डिलीट कर दी गई। घटना के बाद पत्रकारों और स्थानीय मीडिया जगत में गहरा रोष व्याप्त है।

घटना के दौरान मौजूद पत्रकार ने बताया कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच हो रही बहस की वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहा था, तभी कुछ कार्यकर्ताओं को यह बात नागवार गुज़री। आरोप है कि उन्होंने पत्रकार को जबरन एक कमरे में खींच लिया, जहां उससे अभद्रता की गई और कवरेज बंद करने के लिए धमकाया गया। कार्यकर्ताओं ने कथित रूप से पत्रकार का फोन और माइक छीन लिया, और डिवाइस से वीडियो डिलीट कर दी। पत्रकार ने खुद को मानसिक रूप से प्रभावित और धमकी भरा माहौल बताया।

मौके पर मौजूद स्थानीय सोशल मीडिया एक्टिविस्ट मयंक मैनाली ने घटना की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि जब वे पत्रकार को बचाने आगे बढ़े तो यूकेडी कार्यकर्ताओं ने उनके साथ भी बदसलूकी की। मैनाली ने कहा, “मेरा कॉलर पकड़ लिया गया और शर्ट के बटन तक फाड़ दिए गए।” घटना के बाद रामनगर और आसपास के स्थानीय पत्रकारों में भारी नाराजगी है। पत्रकारों ने चेतावनी दी है कि यदि दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं हुई, तो वे धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।

रामनगर कोतवाली के एसएसआई मोहम्मद यूनुस ने बताया कि पत्रकार की ओर से लिखित तहरीर दी गई है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि “जांच के आधार पर जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

उत्तराखंड क्रांति दल जैसे क्षेत्रीय दल के भीतर आंतरिक विवादों का इस तरह हिंसक और असंवैधानिक रूप लेना न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि मीडिया की स्वतंत्रता पर भी सीधा प्रहार है। पत्रकारों और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट्स के साथ दुर्व्यवहार की यह घटना यूकेडी की संवेदनशीलता और जवाबदेही पर भी सवाल खड़े करती है। अब सबकी निगाहें पुलिस जांच और प्रशासन की तत्परता पर टिकी हैं।

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