हाईकोर्ट सख्त: शिक्षा विभाग में दिव्यांग आरक्षण घोटाले पर जांच तेज, राज्य आयुक्त को कोर्ट में पेश होने के निर्देश
Deprecated: preg_split(): Passing null to parameter #3 ($limit) of type int is deprecated in /home/u948756791/domains/doondarshan.in/public_html/wp-content/themes/jannah/framework/functions/post-functions.php on line 805
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग में संदिग्ध दिव्यांगता प्रमाण पत्रों के आधार पर आरक्षण का लाभ ले रहे कर्मचारियों की जांच की मांग पर दायर जनहित याचिका पर गंभीर रुख भी अपनाया है। कोर्ट ने राज्य आयुक्त दिव्यांगजन को 19 नवंबर को वर्चुअली अदालत में उपस्थित होने का आदेश भी दिया है और राज्य मेडिकल बोर्ड के महानिदेशक को नोटिस भी जारी किया है।
याचिका के अनुसार, राज्य गठन के बाद दिव्यांग आरक्षण के तहत हुई 52 नियुक्तियों में से केवल 13 को मेडिकल बोर्ड ने सही भी पाया। बाकी कर्मचारी वर्ष 2022 में हुए पुनर्मूल्यांकन में या तो अनुपस्थित भी रहे, या उनके प्रमाण पत्रों में असंगतियां भी मिलीं। कुछ को दिव्यांग श्रेणी के लायक भी नहीं माना गया।
नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड, उत्तराखंड शाखा द्वारा दायर याचिका में आरोप है कि अपात्र लोग फर्जी ‘दृष्टिबाधित’ प्रमाण पत्रों के माध्यम से आरक्षण का लाभ भी ले रहे हैं, जिससे वास्तविक दिव्यांग उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन भी हो रहा है। याचिकाकर्ता के वकील गौरव पालीवाल ने बताया कि शिकायतों के बावजूद प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई ही नहीं हुई।
पुनर्मूल्यांकन में कई कर्मचारियों का मेडिकल जांच से अनुपस्थित रहना शक को और गहरा भी करता है। याचिका में यह भी आरोप है कि राज्य आयुक्त दिव्यांगजन ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया व एम्स ऋषिकेश से प्रमाण पत्रों के पुन: सत्यापन की मांग को भी नजरअंदाज भी किया।
हाईकोर्ट ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य आयुक्त को तलब भी किया है और मेडिकल बोर्ड के महानिदेशक से भी विस्तृत जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को ही होगी।




