उत्तराखंड में बिजली की मांग के सापेक्ष उपलब्धता कम होने से रोजाना कटौती I
प्रदेश में बिजली की मांग के सापेक्ष उपलब्धता कम होने से रोजाना कटौती भी हो रही है। बीते सोमवार को भी ग्रामीण क्षेत्रों में 2 से 4 घंटे तक कटौती की गई। वहीं, छोटे कस्बों में भी 1 से डेढ़ घंटे की कटौती हुई। यूपीसीएल ने किल्लत को नियंत्रित करने के लिए काशीपुर स्थित गैस प्लांट चला दिया है। हालांकि, अभी भी यूपीसीएल रोजाना 50 लाख यूनिट से 70 लाख यूनिट बाजार से खरीदने को भी मजबूर है। ठंड में बिजली की मांग 4.8 करोड़ यूनिट से भी पार हो रही है। वही यूजेवीएनएल से करीब 80 लाख यूनिट ही मिल पा रही है। अब यूपीसीएल ने गैस पावर प्लांट चलाया है, जिससे रोजाना करीब 40 लाख यूनिट से 45 लाख यूनिट मिल रही है। कुल मांग के सापेक्ष बाजार से महंगी बिजली खरीद में यूपीसीएल का दम भी फूल रहा है। उधर, इस किल्लत को नियंत्रित करने के लिए ग्रामीण इलाकों में 4 घंटे तक की कटौती की जा रही, जबकि छोटे कस्बों में डेढ़ घंटे तक, फर्नेश इंडस्ट्री में भी औसत 5 घंटे कटौती करनी पड़ रही है। हालांकि, यूपीसीएल ने जनवरी महीने की रिपोर्ट में महीनेभर में औसत 24 घंटे कटौती तक ही दावा किया है। यूपीसीएल के निदेशक परियोजना अजय अग्रवाल का कहना है कि फिलहाल मांग के हिसाब से ग्रामीण इलाकों में कुछ देर की कटौती करनी पड़ रही है। रोजाना बाजार से बिजली खरीदने के अलावा उन्होंने काशीपुर स्थित गैस पावर प्लांट चला दिया है। वैसे तो सर्दियों में यूजेवीएनएल का बिजली उत्पादन कम हो जाता है, लेकिन इस वर्ष अभी तक बारिश या बर्फबारी न होने से उत्पादन गिरा हुआ ही है। रोजाना करीब 80 लाख यूनिट तक ही विद्युत उत्पादन ही हो पा रहा है। वही यूजेवीएनएल की एक-दो परियोजनाओं से उत्पादन बाधित भी चल रहा है। यूपीसीएल के लिए पिछले पांच वर्ष में इस वर्ष जनवरी महीने में बिजली की मांग भारी पड़ी है।
2020 में जनवरी महीने में औसत मांग चार करोड़ यूनिट
2021 में 4.2 करोड़ यूनिट,
2022 में 4.4 करोड़ यूनिट,
2023 में 4.6 करोड़ यूनिट
इस वर्ष 2024 जनवरी महीने में 4.8 करोड़ यूनिट से ऊपर मांग पहुंची है।
यूपीसीएल प्रबंधन के लिए ऐसे हालात में बाजार पर ही निर्भरता बढ़ती जा रही है।