उत्तराखंडधर्म

देवभूमि शिव के रंग में रंगी, शिवालयों में जयकारों की गूंज, श्रद्धालुओं की लंबी कतारें

भोलेनाथ के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन बेहद खास, शिवालयों में उमड़ी भीड़

आज महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भोलेनाथ के भक्तों का उत्साह चरम पर है। देर रात से ही श्रद्धालु शिवालयों के बाहर लंबी कतारों में लगे हुए हैं। बड़े, बुजुर्ग, युवा व बच्चे सभी महादेव के जयकारों के बीच मंदिरों में भगवान शिव के दर्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।

महाशिवरात्रि हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव के गृहस्थ जीवन की शुरुआत का प्रतीक है, जब उन्होंने माता पार्वती के साथ विवाह किया। महाशिवरात्रि के दिन विधिपूर्वक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हालांकि, इस दिन पूरे दिन शिव पूजा का महत्व है, लेकिन शुभ मुहूर्त में की गई पूजा विशेष फल भी देती है।

हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान शिव कालों के काल महाकाल हैं, इसलिए उनकी पूजा पर भद्राकाल और पंचक जैसे अशुभ काल का कोई असर नहीं पड़ता। इस दिन भद्राकाल होने के बावजूद, निर्बाध रूप से शिव पूजा की जा सकती है। महाशिवरात्रि शब्द का अर्थ है ‘भगवान शिव की रात’, जहां ‘मह’ का अर्थ है महान और ‘शिवरात्रि’ का अर्थ है भगवान शिव की रात्रि। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन रात भर जागकर शिव और उनकी शक्ति माता पार्वती की आराधना करने से भक्तों पर विशेष कृपा भी बरसती है।

महाशिवरात्रि का रात्रि जागरण जीवन के तमाम कष्टों को दूर करने में सहायक होता है, इसलिए इस दिन सोने की बजाय रातभर जागकर पूजा-अर्चना करने की विशेष महत्ता भी है।

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Doon Darshan