मनसा देवी हादसे के बाद सीढ़ी मार्ग पर अवैध दुकानें बंद, बिजली तार भी बना रहस्य
हरिद्वार – मनसा देवी मंदिर के सीढ़ी मार्ग पर बीते (रविवार) को हुए दर्दनाक हादसे के बाद प्रशासन व स्थानीय दुकानदारों में हड़कंप मच गया है। हादसे के बाद मंदिर मार्ग पर बनी अवैध अस्थायी दुकानों को आनन-फानन में बंद भी कर दिया गया, और कुछ दुकानदार तो सामान समेटकर मौके से ही भाग खड़े हुए।
हादसे के बाद गायब हुआ ‘बिजली का तार’
इस हादसे के दौरान श्रद्धालुओं की ओर से करंट लगने की बात भी सामने आई थी। लेकिन जब जांच टीम मौके पर पहुंची, वह बिजली का तार ही गायब मिला, जिससे हादसे की असल वजह अब और भी रहस्यमयी बन गई है।
अवैध दुकानों की लंबी कतार
मंदिर मार्ग के दोनों ओर – नीचे से लेकर ऊपर तक – फूल, प्रसाद, खिलौनों व खाने-पीने के सामान की सैकड़ों अस्थायी दुकानें लगी हुई थीं। ये दुकानें न सिर्फ भीड़ बढ़ाने का कारण बनीं, बल्कि आपातकालीन निकासी के लिए कोई सुरक्षित रास्ता भी नहीं छोड़ा भी गया था। भगदड़ मचते ही श्रद्धालु इन दुकानों के बीच बुरी तरह से फंस गए, जिससे जान-माल का भारी नुकसान भी हुआ।
हादसे के बाद दुकानें गायब, सामान छिपाया
हादसे के तुरंत बाद कई दुकानदार अपनी दुकानें बंद कर सामान समेटकर भाग ही निकले। कुछ ने तो पहाड़ी के पीछे जाकर अपने सामान को प्लास्टिक की बोरियों में भरकर ही छिपा दिया। मौके पर कई दुकानें वीरान मिलीं, जिससे साफ है कि हादसे के बाद अवैध कारोबार पर पर्दा डालने की कोशिश भी की गई।
प्रतिबंधित क्षेत्र में कारोबार
जानकारी के मुताबिक, यह पूरा क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत भी आता है, जहां किसी भी प्रकार की वाणिज्यिक गतिविधि प्रतिबंधित भी है। इसके बावजूद वर्षों से यहां बिना अनुमति के दुकानें संचालित भी हो रही थीं।
सूत्रों की मानें तो इन दुकानों से प्रत्येक महीने मोटी रकम संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों तक पहुंचाई जाती रही, जिसके कारण नियमों की अनदेखी कर अवैध गतिविधियों को लगातार ही बढ़ावा मिलता रहा।
अब सवाल उठता है:
- क्या हादसे के लिए सिर्फ भगदड़ जिम्मेदार थी, या लापरवाही व भ्रष्टाचार भी?
- बिजली का तार अचानक कैसे गायब हो गया?
- क्या प्रतिबंधित क्षेत्र में इस तरह के कारोबार पर कभी कार्रवाई होगी?
इस हादसे ने न सिर्फ भीड़ नियंत्रण व्यवस्था, बल्कि प्रशासनिक निगरानी पर भी गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। अब जरूरत है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई भी की जाए, ताकि भविष्य में श्रद्धालुओं की जान को खतरे में डालने वाले ऐसे हालात भी न बनें।




