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Ankita Murder Case: न्याय की लड़ाई में मुख्यमंत्री धामी की निर्णायक भूमिका, दोषियों को सजा दिलाने में रहा अहम योगदान

अंकिता हत्याकांड में तीनों दोषियों को आजीवन कारावास, सरकार और जनता को मिला संतोष

देहरादून : उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्यायालय द्वारा तीनों दोषियों को आजीवन कठोर कारावास की सज़ा सुनाए जाने के बाद न केवल राज्यवासियों, बल्कि पूरे देश में न्याय के लिए उठी आवाज़ को संतोष भी मिला है। इस बहुचर्चित मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सक्रियता और सरकार की प्रभावी कार्रवाई निर्णायक भी साबित हुई।

मुख्यमंत्री की त्वरित पहल और कठोर रुख

18 सितंबर 2022 को यमकेश्वर ब्लॉक स्थित वनंत्रा रिसॉर्ट में कार्यरत अंकिता की हत्या ने पूरे प्रदेश को झकझोर भी दिया था। जैसे ही मामला सामने आया, सीएम ने राजस्व पुलिस से जांच हटाकर नियमित पुलिस को सौंपी और 24 घंटे के भीतर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया। सरकार ने गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए मामले को गंभीरता से भी लिया।

विशेष जांच टीम और मज़बूत चार्जशीट

सीएम के निर्देश पर महिला आईपीएस अधिकारी पी. रेणुका देवी की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (SIT) भी गठित किया गया, जिसने गहन जांच कर 500 पन्नों की चार्जशीट अदालत में दाखिल भी की। इसमें 100 से अधिक गवाहों के बयान भी शामिल थे, जिनके आधार पर अभियोजन पक्ष ने अदालत में मज़बूती से पक्ष भी रखा।

सुप्रीम कोर्ट ने भी मानी जांच प्रक्रिया संतोषजनक

इस मामले में सरकार की ओर से अपनाई गई जांच प्रक्रिया को सर्वोच्च न्यायालय ने भी संतोषजनक भी माना। साथ ही सरकार ने अंकिता के परिवार को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, सरकारी नौकरी व न्यायिक प्रक्रिया में लगातार सहयोग देकर संवेदनशीलता का परिचय भी दिया।

जमानत याचिकाएं खारिज, आरोपियों की नहीं चली एक भी दलील

सरकार की मज़बूत पैरवी के चलते आरोपियों की हर जमानत याचिका अदालत ने खारिज भी की। मुख्यमंत्री धामी लगातार अंकिता के परिजनों के संपर्क में रहे और 3 बार अधिवक्ता भी बदले गए ताकि पीड़ित परिवार की हर मांग पूरी भी की जा सके।

न्याय दिलाना सरकार का संकल्प: सीएम धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा,

“अंकिता को न्याय दिलाना सरकार का संकल्प था। न्यायिक प्रक्रिया में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ी गई है। यदि भविष्य में भी जरूरत पड़ी तो हम और भी मज़बूत पैरवी करेंगे।”

पृष्ठभूमि में उठे वीआईपी हस्तक्षेप के आरोपों पर सरकार ने स्पष्ट भी किया कि कोई तथ्य प्रस्तुत नहीं किए गए, और केवल अटकलों के आधार पर सवाल उठाना न्याय की प्रक्रिया को कमजोर करना है।

यह फैसला अंकिता के परिजनों, समाज और राज्य की न्यायप्रिय जनता के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी साबित हुआ है।

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