उत्तराखंड

भाऊवाला में तैयार हुआ एरोमा मॉडल गार्डन, डेमेस्क गुलाब की पहली तुड़ाई से मिली सफलता

 

देहरादून। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों के लिए रोजगार और आय के नए रास्ते खोलने की दिशा में सगंध पौध केंद्र (CAP) सेलाकुई ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भाऊवाला के पास नौ एकड़ बंजर भूमि पर विकसित एरोमा मॉडल गार्डन में सोमवार को पहली बार डेमेस्क गुलाब की तुड़ाई भी की गई।

इस अवसर पर सगंध पौध केंद्र के निदेशक डॉ. नृपेंद्र चौहान ने बताया कि एरोमा फसलों की खेती पहाड़ों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। उन्होंने कहा, “जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है और खेत लंबे समय से बंजर पड़े हैं, वहां डेमेस्क गुलाब जैसी सुगंधित फसलें किसानों की आय बढ़ाने का सशक्त माध्यम बन सकती हैं।”

वर्षा जल संचयन से सींची गई खुशबू की खेती

भाऊवाला की इस जमीन पर सिंचाई की कोई सुविधा नहीं थी, लेकिन वर्षा जल संग्रहण और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम के जरिए यह बंजर भूमि आज सुगंधित फसलों से महक रही है। सोमवार को डेमेस्क गुलाब की पहली फसल से करीब 150 किलो फूल एकत्र किए गए।

मॉडल गार्डन में कई सुगंधित पौधों की खेती

CAP द्वारा विकसित इस मॉडल बगीचे में डेमेस्क गुलाब के अलावा सुरई, कपूर, लैमन ग्रास, तेजपात और रोजमेरी जैसी अन्य सुगंधित फसलों की भी सफल खेती की जा रही है। इन फसलों से तेल निकालकर दवा, कॉस्मेटिक और परफ्यूम उद्योगों में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे किसानों को बेहतर बाजार मूल्य भी मिल सकता है।

फील्ड कर्मचारियों को दी गई प्रशिक्षण की जानकारी

पहली तुड़ाई के मौके पर CAP की टीम ने फील्ड कर्मचारियों को एरोमा फसलों की देखरेख और तुड़ाई की तकनीकों की जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. ललित, डॉ. जफर हैदर और डॉ. अरविंद भी मौजूद रहे।

राज्य में एरोमा मिशन को मिल सकती है रफ्तार

CAP की इस पहल को राज्य में एरोमा मिशन को गति देने की दिशा में अहम माना जा रहा है। डॉ. चौहान ने बताया कि यदि पर्वतीय किसानों को एरोमा खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए और तकनीकी मदद दी जाए, तो यह कृषि के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव भी ला सकता है।

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