कॉर्बेट पार्क मामला: पूर्व निदेशक राहुल के खिलाफ केस पर हाईकोर्ट की रोक, राज्य सरकार और सीबीआई से मांगा जवाब
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से जुड़े एक संवेदनशील मामले में अहम निर्देश जारी किए हैं।
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नैनीताल : कोर्ट ने कालागढ़ टाइगर रिज़र्व के पाखरो क्षेत्र में बिना अनुमति निर्माण कार्य और पेड़ों की कटाई के मामले में कॉर्बेट पार्क के तत्कालीन निदेशक राहुल के खिलाफ मुकदमा चलाने की राज्य सरकार की अनुमति पर अस्थायी रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और सीबीआई को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई दिसंबर माह में होगी। पूर्व निदेशक राहुल की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उनके खिलाफ बिना जांच और पर्याप्त साक्ष्य के मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि पहले राज्य सरकार ने जांच से पहले ही केस चलाने से इनकार किया था, लेकिन बाद में एक समाचार पत्र में प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर अनुमति दे दी गई, जो कानूनी रूप से उचित नहीं है।
वहीं कॉर्बेट पार्क में जिप्सी संचालन को लेकर भी उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक अन्य याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने पार्क प्रशासन को निर्देश दिए कि वह नई नीति तैयार करे, जिससे अधिक से अधिक स्थानीय बेरोजगार वाहन स्वामी पार्क की गतिविधियों में शामिल हो सकें। कोर्ट ने कहा कि जब तक नीति अंतिम रूप नहीं लेती, तब तक पंजीकरण की मौजूदा प्रक्रिया को अंतिम रूप न दिया जाए, और पहले से पंजीकृत वाहन संचालकों को रोका न जाए।
कॉर्बेट पार्क के निदेशक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए और न्यायालय ने अगली सुनवाई की तिथि 27 नवंबर निर्धारित की है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं—चक्षु करगेती, सावित्री अग्रवाल व अन्य—का कहना है कि वे सभी शर्तें पूरी कर रहे हैं, लेकिन फिर भी पार्क प्रशासन द्वारा चयन प्रक्रिया में भेदभाव किया जा रहा है। विशेष श्रेणी की जिप्सियों को प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि दो वर्ष पुराने पंजीकृत वाहनों को बाहर किया गया है, जिससे कई वाहन संचालक बेरोजगार हो गए हैं।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दोनों मामलों में न्यायिक संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है। जहां एक ओर पूर्व निदेशक के खिलाफ मुकदमा चलाने की प्रक्रिया की विधिक वैधता की जांच की जा रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय रोजगार से जुड़े मुद्दों पर भी कोर्ट ने संवेदनशीलता दिखाई है।



