
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में हाइडेटिड सिस्ट बीमारी के मामले लगातार सामने भी आ रहे हैं। ताजा मामला चमोली की 23 वर्षीय युवती मोनिका नेगी का है, जिसके लिवर में 1-2 नहीं बल्कि 4-4 बड़े सिस्ट पाए गए। डॉक्टरों ने दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में करीब 6 घंटे चले जटिल ऑपरेशन के बाद उसकी जान भी बचाई। अब युवती पूरी तरह स्वस्थ है और जल्द डिस्चार्ज भी की जाएगी।
डॉक्टरों के मुताबिक, मोनिका पिछले 1 वर्ष से इस बीमारी से जूझ भी रही थी। अल्ट्रासाउंड व सीटी स्कैन में खुलासा हुआ कि उसके लिवर का करीब 70% हिस्सा हाइडेटिड सिस्ट से प्रभावित भी हो चुका था। सामान्यत: लिवर में 1-2 गांठें मिलती हैं, लेकिन मोनिका के केस में 4 सिस्ट 10 से 15 सेंटीमीटर तक के आकार के थे। यही वजह रही कि यह ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण भी रहा।
सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. अभय कुमार के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने लेप्रोस्कोपिक तकनीक से 7 दिन की तैयारी के बाद यह सफल ऑपरेशन भी किया। टीम में डा. दिव्यांशु, डा. वैभव, डा. मयंक, डा. अनूठी व मोहित शामिल थे, जबकि एनेस्थीसिया विभाग से डा. अभिमन्यु, डा. निधि और डा. मानसी ने सहयोग भी दिया।
डा. अभय कुमार ने बताया कि
दून अस्पताल में अब तक 25 से अधिक हाइडेटिड सिस्ट ऑपरेशन भी किए जा चुके हैं, मगर एक ही मरीज के लिवर में 4 बड़े सिस्ट मिलना बेहद दुर्लभ है।
उत्तराखंड में क्यों ज्यादा मामले?
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तरकाशी, चमोली व पौड़ी से सबसे अधिक मरीज सामने आते हैं। पर्वतीय इलाकों में भेड़-बकरियां व कुत्तों को पाला जाता है। कुत्तों को कच्चा मांस खिलाने और कृमिनाशक दवाएं न देने से यह संक्रमण तेजी से भी फैलता है।
क्या है हाइडेटिड सिस्ट?
यह रोग इचिनोकॉकस ग्रैनुलोसस नामक टेपवर्म से ही फैलता है, जो आमतौर पर कुत्तों में भी पाया जाता है। दूषित भोजन, पानी या कुत्ते के मल के संपर्क से यह संक्रमण इंसानों तक भी पहुंचता है। सिस्ट प्रायः लिवर व फेफड़ों में विकसित होते हैं और लंबे समय तक लक्षण नजर नहीं आते। गंभीर स्थिति में सिस्ट फटने पर जानलेवा एलर्जिक रिएक्शन भी हो सकता है।
बचाव के उपाय
- कुत्तों को नियमित कृमिनाशक दवाएं दें
- कुत्तों को कच्चा मांस न खिलाएं
- भोजन से पहले हाथ धोएं
- फल व सब्जियां अच्छी तरह धोकर खाएं
- दूषित पानी और मिट्टी से बचें