उत्तराखंड

फ्रीज जोन में अटका विकास: नई विधानसभा परियोजना 12 साल से वन भूमि स्वीकृति की राह में ठहरी

देहरादून के रायपुर में विधानसभा-सचिवालय प्रोजेक्ट बना अनिश्चितता का शिकार, आठ साल से वन भूमि की स्वीकृति का इंतज़ार

देहरादून – राजधानी के रायपुर क्षेत्र में प्रस्तावित नई विधानसभा और सचिवालय भवन की महत्वाकांक्षी योजना लंबे समय से फाइलों में अटकी हुई है। सरकार की ओर से इसे फ्रीज जोन में रखा गया है ताकि भूमि की खरीद-फरोख्त रोकी जा सके, लेकिन अब इस प्रोजेक्ट की रफ्तार इतनी धीमी हो गई है कि लगता है, यह योजना खुद ही ‘फ्रीज’ हो चुकी है।

15 वर्षों से अटका है प्रस्ताव, अब तक नहीं मिली वन भूमि की मंजूरी

विधानसभा और सचिवालय को देहरादून शहर के ट्रैफिक दबाव से दूर रायपुर की पहाड़ियों में शिफ्ट करने की योजना 2009-10 से विचाराधीन है। वर्ष 2014 में तत्कालीन सरकार ने 60 हेक्टेयर वन भूमि को इस परियोजना के लिए चिह्नित कर केंद्र सरकार से मंजूरी मांगी थी। 2016 में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसे सैद्धांतिक स्वीकृति दी थी, लेकिन इसके बाद की प्रक्रियाओं में राज्य सरकार की ढिलाई सामने आई।

प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी के लिए आवश्यक दस्तावेज़ केंद्र को पाँच साल बाद 2022 में भेजे गए, वह भी अधूरे। नतीजा ये हुआ कि मंत्रालय ने पहले दी गई स्वीकृति रद्द कर दी। अब राज्य संपत्ति विभाग को पूरी प्रक्रिया दोबारा शुरू करनी पड़ रही है।

ट्रैफिक दबाव कम करने के लिए जरूरी था प्रोजेक्ट

बीते 25 वर्षों में देहरादून में ट्रैफिक का दबाव कई गुना बढ़ा है। वर्तमान में सचिवालय और विधानसभा शहर के बीचोंबीच स्थित हैं, जिससे शहर के प्रमुख हिस्से में रोज़ाना जाम की स्थिति बनती है। विशेषज्ञों और शहरी नियोजन संस्थाओं ने भी सुझाव दिया कि विधानसभा जैसे भारी प्रशासनिक संस्थानों को शहर से बाहर स्थानांतरित किया जाए।

मैकेंजी की रिपोर्ट के बाद बना फ्रीज जोन

राज्य सरकार के रोडमैप पर काम कर रहे मैकेंजी कंसल्टेंसी ने भी रायपुर को विधानसभा-सचिवालय के लिए उपयुक्त स्थान बताया था। इसके बाद आवास विभाग ने चिन्हित भूमि के आस-पास के इलाके को फ्रीज जोन घोषित कर दिया था ताकि भविष्य में ज़मीन की किल्लत न हो। पर अब यही फ्रीज जोन विकास की राह में रुकावट बनता जा रहा है।

पुराने भवन में हो रहे नए काम, संदेह बढ़ा

जहां एक ओर रायपुर में नई विधानसभा का सपना साकार नहीं हो पा रहा है, वहीं दूसरी ओर पुरानी विधानसभा (रिस्पना पुल के पास) में नए निर्माण कार्य चल रहे हैं। यह सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है – अगर नई विधानसभा वास्तव में बननी है, तो पुराने भवन पर निवेश क्यों?


क्या बोले अधिकारी?

आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव (वन)
“वन भूमि स्वीकृति से संबंधित प्रक्रिया फिर से शुरू की गई है। विभागीय स्तर पर जो भी जरूरी कार्य हैं, उन्हें प्राथमिकता से किया जाएगा।”

विनोद कुमार सुमन, सचिव, राज्य संपत्ति विभाग
“हमने केंद्रीय मंत्रालय को संशोधित प्रस्ताव भेज दिया है। हमें उम्मीद है कि स्वीकृति जल्द मिलेगी, जिसके बाद कार्य आगे बढ़ेगा।”

आर. मीनाक्षी सुंदर, प्रमुख सचिव, आवास विभाग
“रायपुर क्षेत्र को विधानसभा-सचिवालय के लिए फ्रीज जोन घोषित किया गया था। लेकिन योजना में देरी के चलते अब फ्रीज जोन हटाने पर विचार हो रहा है।”

राजधानी देहरादून के सबसे अहम विकास प्रोजेक्ट्स में से एक – रायपुर विधानसभा और सचिवालय निर्माण – कागजों की कैद में ही उलझा हुआ है। आठ साल बाद भी वन भूमि की मंजूरी नहीं मिल पाना सरकारी सिस्टम की धीमी रफ्तार को उजागर करता है। यदि जल्द फैसले नहीं हुए, तो यह प्रोजेक्ट एक और अधूरा सपना बनकर रह जाएगा।

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