उत्तराखंड

धारचूला (पिथौरागढ़): तवाघाट-लिपुलेख हाईवे पर बनेगी सुरंग, शीतकाल में भी रहेगा यातायात जारी

चीन सीमा से जुड़ने वाला तवाघाट-लिपुलेख (NH-9) अब बूंदी से गर्ब्यांग तक एक सुरंग (टनल) से होकर गुजरेगा। इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में सुरंग के निर्माण से मानसून और शीतकाल में भी यातायात निर्बाध रहेगा। यह परियोजना सेना और अर्धसैनिक बलों के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित होगी, वहीं पर्यटकों के लिए गुंजी तक पहुंचना आसान हो जाएगा। इसके साथ ही व्यास घाटी में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। सुरंग निर्माण के लिए दिल्ली की एल्टीनाथ कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बूंदी से गर्ब्यांग तक का प्रारंभिक सर्वेक्षण पूरा कर लिया है।

तवाघाट-लिपुलेख हाईवे बूंदी के पास उच्च हिमालयी भू-भाग से शुरू होता है। बूंदी से छियालेख तक सड़क पर कई मोड़ आते हैं, जबकि छियालेख से गर्ब्यांग तक दलदल वाली जमीन है, जो मानसून के दौरान यातायात को प्रभावित करती है। इसके अलावा, शीतकाल में हिमपात के कारण यह हाईवे अक्सर बंद रहता है। अब दो से तीन वर्षों में, यह सड़क सुरंग से होकर गुजरेगी, जिससे दोनों मौसमों में यातायात की सुविधा बनी रहेगी।

बीआरओ के अनुसार, खोसा से गर्ब्यांग के कौक्स्यों तक सर्वे हो चुका है। सुरंग के बनने से आदि कैलास, कैलास मानसरोवर, ओम पर्वत और कैलास दर्शन सुगम होंगे, साथ ही भारत-चीन व्यापार मार्ग भी आसान हो जाएगा।

ग्रामीणों के साथ बैठक होगी:

टनल निर्माण को लेकर बीआरओ और निर्माण कंपनी की बूंदी और गर्ब्यांग के ग्रामीणों के साथ बैठक प्रस्तावित है। बूंदी के ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में किए गए सर्वे के आधार पर खोसा से सुरंग का निर्माण किया जाए, क्योंकि नए सर्वे में चयनित स्थान पर बोल्डर और पत्थर गिरने का खतरा है, जो गांव तक पहुंच सकते हैं।

भाजपा नेता योगेश गर्ब्याल का कहना है कि इस सुरंग के निर्माण से व्यास घाटी का तेज़ी से विकास होगा।

सुरंग की लंबाई और स्थिति:

बूंदी से गर्ब्यांग तक 6 किमी लंबी सुरंग बनाई जाएगी। एल्टीनाथ कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इस क्षेत्र का सर्वेक्षण किया है। हालांकि, बूंदी के कुछ ग्रामीणों ने सुरंग निर्माण के स्थान पर आपत्ति जताई थी, लेकिन जनसुनवाई के बाद उनकी सलाह पर अब जल्द ही एक बैठक आयोजित की जाएगी।-भावना दीपक वाड्रे, ओसी 67आरसीसी, बीआरओ

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