उत्तराखंड

वन निगम में डिजिटल बदलाव, अब क्यूआर कोड से होगा प्रकाष्ठ का रिकॉर्ड

उत्तराखंड वन निगम में दशकों से चल रही मैनुअल प्रकाष्ठ गिल्टों के रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था में अब बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब वन निगम क्यूआर कोड के जरिए प्रकाष्ठ का डिजिटल रिकॉर्ड भी रखेगा। इस दिशा में अब काम शुरू हो चुका है, और प्रदेश के हल्द्वानी पूर्वी लौगिग प्रभाग में इसका पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू कर दिया गया है।

इसके अलावा, आम लोग भी घर बैठे नीलामी में शामिल हो सकेंगे। इसके लिए वन निगम मोबाइल एप के माध्यम से नीलामी में भाग लेने की व्यवस्था लागू करने की तैयारी भी कर रहा है। वन निगम हर साल औसतन 2 लाख घनमीटर से अधिक प्रकाष्ठ का कटान करता है, जिससे औसतन 600 करोड़ तक राजस्व भी प्राप्त होता है।

मैनुअल रिकॉर्ड की व्यवस्था पर बदलाव

राज्य के गठन से पहले यूपी के समय से लेकर अब तक वन निगम में पेड़ों के कटान से लेकर लकड़ी के गिल्टे तक के रिकॉर्ड मैनुअल रूप से ही रखे जाते थे। इसमें प्रपत्र भरने से लेकर लकड़ी के गिल्टों पर नंबर अंकित किया जाता था, जिससे यह पता चलता था कि गिल्ट किस जंगल और रेंज से संबंधित है और उसकी प्रजाति क्या है। इन जानकारियों को प्राप्त करने के लिए कागजों को पलटना पड़ता था, और यदि कोई जांच करता, तो मैनुअल काम से जूझना भी पड़ता था।

क्यूआर कोड से डिजिटल व्यवस्था

अब वन निगम इस मैनुअल व्यवस्था को खत्म कर डिजिटल रिकॉर्ड रखने की दिशा में कदम भी बढ़ा रहा है। इसके तहत, वन निगम लकड़ी के गिल्टों पर क्यूआर कोड अंकित करेगा, जिससे संबंधित लकड़ी की प्रजाति, रेंज, लंबाई आदि की जानकारी तुरंत ही प्राप्त हो सकेगी। क्यूआर कोड को स्कैन करके सभी डिटेल्स मिल सकेंगी।

नीलामी में एप के जरिए भागीदारी

वन निगम के आरएम मुख्यालय महेश आर्य ने बताया कि प्रबंध निदेशक के निर्देश पर क्यूआर कोड और एप की व्यवस्था को लागू करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। पायलट प्रोजेक्ट के परिणामों के आधार पर इसे अन्य क्षेत्रों में भी लागू किया जाएगा। इसके अलावा, एप के माध्यम से अब सामान्य लोग नीलामी में भी भाग ले सकेंगे, और वन निगम की प्रकाष्ठ नीलामी भी लंबे समय से ऑनलाइन भी की जा रही है।

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