उत्तराखंड

पति की मृत्यु के बाद नौकरी के लिए दर-दर भटक रही महिला को डीएम ने दिलाया न्याय, 5 दिन में पूरे कराए नियुक्ति के कागज़ात

देहरादून: पति की मौत के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने के लिए महीनों से नगर निगम व तहसील के चक्कर काट रही 2 बच्चों की मां रेनू को आखिरकार इंसाफ मिल ही गया है। आज सोमवार को आयोजित जनता दर्शन में रेनू ने जिलाधिकारी सविन बंसल के सामने अपनी व्यथा रखी, जिस पर डीएम ने तत्काल ही संज्ञान लेते हुए नगर निगम व तहसील अधिकारियों को फटकार लगाई और केवल 5 दिन में नौकरी से जुड़े सभी दस्तावेज तैयार भी करवा दिए।

मृतक आश्रित कोटा रेनू का हक – डीएम

जनता दर्शन में रेनू ने बताया कि उनके पति सुरेन्द्र सिंह देहरादून नगर निगम में स्थायी रूप से पर्यावरण मित्र के पद पर कार्यरत भी थे और 17 अप्रैल 2025 को उनका निधन हो गया। परिवार की आर्थिक स्थिति बदहाल है और उनके 2 बेटियां भी हैं। रेनू ने नगर निगम में नौकरी के लिए आवेदन भी किया था, लेकिन महीनों बाद भी कोई सुनवाई ही नहीं हुई।

जिलाधिकारी सविन बंसल ने इस पर नाराजगी जताते हुए नगर निगम व तहसील के अधिकारियों से जवाब-तलब किया और स्पष्ट किया कि “मृतक आश्रित कोटा विधवा रेनू का अधिकार है, इसमें कोई देरी स्वीकार ही नहीं की जाएगी।” डीएम ने नगर आयुक्त (एमएनए) को निर्देश दिए कि नियुक्ति की प्रक्रिया में विलंब न किया जाए और रेनू को त्वरित लाभ भी मिले।

5 दिन में तैयार करवा दिए गए सभी दस्तावेज

डीएम के आदेश के बाद संबंधित विभाग हरकत में आया व मात्र 5 दिनों में सभी दस्तावेज पूरे भी कर लिए गए। तहसील से आवश्यक रिपोर्ट नगर निगम को भेज दी गई है और अब रेनू को जल्द ही पति की जगह नौकरी मिलने की उम्मीद भी है।

जनता दर्शन बना उम्मीद की किरण

हर सोमवार को आयोजित होने वाला डीएम का जनता दर्शन कार्यक्रम अब जनसुनवाई व त्वरित समाधान का प्रमुख माध्यम बनता जा रहा है। जिलाधिकारी के नेतृत्व में केवल राजस्व ही नहीं, बल्कि अन्य विभागों, निजी कंपनियों व संस्थानों से जुड़ी समस्याओं का भी समाधान हो रहा है।

डीएम सविन बंसल ने कहा,

“जनता की सेवा ही हमारी प्राथमिकता है। शासन की मंशा है कि कोई भी व्यक्ति न्याय से वंचित न रह जाए।”

रेनू जैसे कई फरियादियों के मामलों में त्वरित निर्णय लेकर प्रशासन ने एक बार फिर जनविश्वास की मिसाल भी कायम की है।

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